SGPC On NCERT Book: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने शुक्रवार (7 अप्रैल) को दावा किया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में सिखों से संबंधित ऐतिहासिक विवरणों को गलत तरीके से पेश किया है.
एसजीपीसी के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने एक बयान में कहा कि एनसीईआरटी ने ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस’ नामक पुस्तक के अध्याय-आठ (रीजनल एस्पिरेशंस) में ‘आनंदपुर साहिब’ प्रस्ताव के बारे में 'भ्रामक जानकारी' दर्ज की है और समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.
'सिखों को अलगाववादियों के रूप में चित्रित करना बिल्कुल भी उचित नहीं'
धामी ने 1973 के प्रस्ताव की व्याख्या करते हुए कहा कि यह राज्य के अधिकारों और संघीय ढांचे को मजबूत करने से संबंधित है. धामी ने कहा, “सिखों को अलगाववादियों के रूप में चित्रित करना बिल्कुल भी उचित नहीं है, इसलिए एनसीईआरटी को इस तरह के अत्यधिक आपत्तिजनक उल्लेखों को हटा देना चाहिए.”
उन्होंने दावा किया, ‘‘बारहवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में कुछ पुरानी सूचनाओं को हटाकर और कुछ नई जानकारियों को जोड़कर सांप्रदायिक पहलू लिया गया है.’’ एसजीपीसी प्रमुख ने कहा कि आनंदपुर साहिब प्रस्ताव एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जिसमें कुछ भी गलत नहीं है.
केरल के सीएम का भी आया रिएक्शन
एनसीईआरटी की 12वीं की पाठ्यपुस्तकों को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी. उन्होंने पाठ्यपुस्तकों से कुछ अध्यायों और अंशों को हटाने की कड़ी निंदा की. उन्होंने आरोप लगाया है कि इस कदम का उद्देश्य शैक्षिणक पुस्तकों का ‘पूर्ण रूप से भगवाकरण’ करना है.
सीएम विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि केवल (किसी के लिए) असुविधाजनक होने की स्थिति में उस हिस्से को पाठ्यपुस्तकों से हटाने से ऐतिहासिक तथ्यों को नकारा नहीं जा सकता है. विजयन ने कहा कि राजनीतिक उद्देश्य से पाठ्यपुस्तकों से कुछ अंशों और अध्यायों को हटाना एक निंदनीय कदम है.
'अंशों को हटाने से किसका हित पूरा हो रहा'
सीएम विजयन ने कहा कि यह स्पष्ट है कि एनसीईआरटी की नए शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या और आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के बारे में दिए गए अंशों को हटाने से किसका हित पूरा हो रहा है. उन्होंने कहा कि उसी कक्षा की इतिहास की पाठ्यपुस्तक से मुगल साम्राज्य के कुछ अंश भी हटा दिए गए थे. उन्होंने कहा, ‘‘मुगल साम्राज्य के बिना भारत का मध्यकालीन इतिहास अधूरा है.’’
वहीं, कांग्रेस ने केंद्र पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर और गलत ढंग से पेश करने का आरोप लगाया. एनसीईआरटी के प्रमुख दिनेश सकलानी ने कहा कि पाठ्यक्रम को पिछले साल जून में ही ‘तर्कसंगत’ बना दिया गया था और इस साल पाठ्यक्रम से कुछ नहीं हटाया गया है.
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