नई दिल्ली: दिल्ली में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सभी पार्टियों के नेता जोर शोर से प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं. वहीं जिस बात से अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम बच रही थी अमित शाह और उनकी टीम ने उन्हें अब उसी गेम में उलझा दिया है. मामला शाहीनबाग का है. जिसे देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद अब एक विचार बता रहे हैं. वे कहते हैं शाहीनबाग में प्रदर्शन करने वाले लोग देश तोड़ने वाले हैं. दिल्ली का चुनाव शाहीन बाग के नाम पर लड़ने और लड़ाने की तैयारी है. अरविंद केजरीवाल कहते हैं दिल्ली की पुलिस आपकी है तो फिर देर किस बात की. देश तोड़ने वालों को गिरफ्तार क्यों नहीं कर लेते हैं.


राष्ट्रवाद बनाम अराजकता के नारे पर बीजेपी मैदान में

दिल्ली चुनाव को बीजेपी ने आर-पार की लड़ाई बना लिया है. राष्ट्रवाद बनाम अराजकता के नारे पर पार्टी चुनावी मैदान में है. बीजेपी ने किसी को सीएम उम्मीदवार नहीं बनाया है. लेकिन अमित शाह हर दिन रोड शो से लेकर चुनावी रैलियां कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कमल के निशान पर बटन दबाओ तो इतने गुस्से में दबाना कि बटन आपके क्षेत्र में दबे और करंट शाहीन बाग में लगे. ऐसा लग रहा है कि बीजेपी के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा शाहीन बाग ही है. पार्टी के सभी छोटे बड़े नेता बस इसी मुद्दे पर अटके हुए हैं. हर दिन दिल्ली बीजेपी ऑफिस में इसी बात पर प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है. हफ्ते भर से बीजेपी ने सारा जोर शाहीन बाग पर लगा रखा है. आखिरकार अमित शाह अपनी रणनीति में कामयाब होते नजर आ रहे हैं.

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल अब तक शाहीन बाग का नाम लेने तक से बच रहे थे. लेकिन अब वे उसी पिच पर खेलने लगे हैं जिस पिच पर अमित शाह और उनकी टीम गेंदबाजी करने को बेचैन थी. केजरीवाल ने आज शाहीन बाग पर ट्वीट किया. वे कहते हैं कि शाहीन बाग में बंद रास्ते की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है. बीजेपी नहीं चाहती है कि रास्ता खुले. बीजेपी गंदी राजनीति कर रही है. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी शाहीन बाग पर जवाब देते घूम रहे हैं. पहले तो आम आदमी पार्टी की तैयारी थी काम के नाम पर वोट मांगने की. प्रशांत किशोर की टीम ने नारा दिया था अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल. लेकिन अब तो केजरीवाल शाहीन बाग में लग गए हैं. ये पिच तो बीजेपी का था और रहेगा भी. फिर केजरीवाल को इस पिच पर आकर बैटिंग करने की क्या जरूरत? लेकिन बीजेपी ने अपने गेम में उन्हें फंसा ही दिया है.

फ्री बिजली-पानी के नाम पर ही केजरीवाल का फोकस

आप सोच रहे होंगे बीजेपी की सुई शाहीन बाग पर आकर क्यों अटकी है? क्योंकि इसी बहाने दिल्ली में वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है. शाहीन बाग का सीधा कनेक्शन नागरिकता कानून से है. जहां मुस्लिम औरतें करीब डेढ़ महीने से धरने प्रदर्शन पर हैं. अरविंद केजरीवाल की टीम फ्री बिजली पानी के नाम पर वोट मांगने आई थी. मोहल्ला क्लिनिक और सरकारी स्कूलों की बेहतरी के नाम पर समर्थन जुटाने में जुटी थी. शाहीन बाग में इतना कुछ होता रहा. सोशल मीडिया पर लोगों ने केजरीवाल को वहां जाने के लिए भी उकसाया. लेकिन केजरीवाल मौन रहे. आम आदमी पार्टी के नेता - कार्यकर्ता शाहीन बाग से दूर रहे. कांग्रेस पार्टी के कई नेता शाहीन बाग गए. मंच से भाषण भी दिया. लेकिन केजरीवाल के लोग सब जान बूझ कर अनजान बने रहे. क्योंकि यही रणनीति थी. लेकिन अब धीरे धीरे आम आदमी पार्टी बीजेपी के बनाए जाल में उलझती जा रही है.

प्रशांत किशोर के साथ मिलकर बनाई रणनीति

अरविंद केजरीवाल को पता था कि दिल्ली चुनाव के लिए बीजेपी सारे घोड़े खोल देगी इसीलिए प्रशांत किशोर को भी साथ ले लिया. अपने कोर टीम की बैठक में केजरीवाल ने खुद कहा था दिल्ली का चुनाव बड़ा अलग होता है. यहां तो दो दिनों में ही गेम बदल जाता है. प्रशांत किशोर की टीम के साथ मिल कर रणनीति बनी. चाहे कुछ भी हो जाए, हमारा फोकस हमारे काम को लेकर रहेगा. हम इसी आधार पर वोट मांगेंगे. हम किसी भी सूरत में बीजेपी के ध्रुवीकरण वाले पॉलिटिक्स में नहीं फंसेंगे. शुरूआत में ऐसा ही हुआ.

टाउन हॉल कार्यक्रम में केजरीवाल ने अपने लोगों के साथ, अपने मन की बात की. केजरीवाल न तो शाहीन बाग गए ना ही जेएनयू के पचड़े में पड़े. जब भी ज़रूरत पड़ी प्रशांत किशोर ही इन मुद्दों पर बीजेपी से लड़े और भिड़े भी. लेकिन पिछले चार दिनों में दिल्ली का चुनावी गेम बदल गया है. अब मुद्दों के नाम पर कभी शरजील इमाम तो कभी शाहीन बाग आ जाता है. कपिल मिश्रा ने हिंदू-मुसलमान की एंट्री कराई. फिर पाकिस्तान आया. टुकड़े टुकड़े गैंग का भी चुनावी अखाड़े में आगमन हो चुका है.

शाहीन बाग होगा गेम चेंजर?

अगर शाहीन बाग के बहाने वोटरों का ध्रुवीकरण हुआ तो फिर अरविंद केजरीवाल को लेने के देने पड़ सकते हैं. तरह तरह के लोगों से बात और मुलाक़ात करते समय अधिकतर लोग अरविंद केजरीवाल के समर्थन वाले मिले. सब उनके फ्री बिजली, पानी देने की तारीफ कर रहे हैं. लेकिन जब भी उनसे सवाल पूछा कि लोकसभा चुनाव में किसका साथ देंगे. एक दो को छोड़ कर हर बार एक ही जवाब मिला, मोदी को. मतलब ये कि मोदी के समर्थक भी दिल्ली में केजरीवाल के साथ खड़े नजर आए. लेकिन शाहीन बाग पर चुनाव हुआ तो फिर गेम बदल सकता है. चुनावी हवा बदलते तो वैसे भी देर नहीं लगती है. तो ऐसे में सवाल ये है कि क्या शाहीन बाग गेमचेंजर हो सकता है?

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