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शाहीन बाग बना प्रयागराज का मंसूर पार्क, CAA के खिलाफ तीन दिनों से डटी हैं प्रदर्शनकारी मुस्लिम महिलाएं
इस बार के आंदोलन की कमान मुस्लिम महिलाओं ने संभाली हुई है. उनके साथ बड़ी संख्या में पुरुष और बच्चे भी शामिल हैं.
प्रयागराज: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर संगम नगरी प्रयागराज की महिलाएं भी शहर के मंसूर अली पार्क में पिछले तीन दिनों से लगातार धरने पर बैठी हुई हैं. शहर के बीचोंबीच का यह पार्क तीन दिनों से आंदोलनकारियों के कब्जे में है. पुलिस और प्रशासन ने तीन दिनों में कई बार आंदोलनकारियों को हटाने और उनका धरना खत्म कराकर पार्क को खाली कराने की कोशिश की, लेकिन जबरदस्त भीड़ के चलते यह कोशिश कामयाब नहीं हो सकी.
खास बात यह है कि इस बार के आंदोलन की कमान मुस्लिम महिलाओं ने संभाली हुई है. उनके साथ बड़ी संख्या में पुरुष और बच्चे भी शामिल हैं. महिलाएं पूरी रात यहां खुले आसमान के नीचे बैठी रहती हैं. यहीं नमाज पढ़ती हैं और यहीं से सरकार के खिलाफ हुंकार भर रही हैं. आंदोलन के तीन दिन बीतने और धरना स्थल पर लगातार आंदोलनकारियों की भीड़ बढ़ने से प्रशासन की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. इसके साथ ही पार्क को आंदोलनकारियों के कब्जे से खाली कराना भी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.
सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रयागराज की मुस्लिम महिलाओं का यह आंदोलन रविवार से शुरू हुआ है. महिलाओं के समर्थन में बड़ी संख्या में पुरुष भी धरने पर बैठे हुए हैं. कई विपक्षी पार्टियों और वामपंथी संगठनों के समर्थन की वजह से माहौल तनावपूर्ण होता जा रहा है. प्रशासन ने एहतियातन बड़ी संख्या पुलिस और पीएसी की तैनाती कर दी है. धरनास्थल पर लोगों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है. आंदोलनकारियों का कहना है कि वह तब तक नहीं हटेंगे, जब तक केंद्र सरकार सीएए को वापस नहीं ले लेगी.
महिलाएं और दूसरे आंदोलनकारी रात भर खुले आसमान के नीचे डटे रहे. धरनास्थल पर लगातार नारेबाजी हो रही है. बीच-बीच मे गीतों, गजलों और ढपली की धुनों के बीच सरकार को घेरने और उस पर निशाना साधने का भी काम किया जा रहा है. हाथों में तिरंगा थाम कर धरने पर बैठे लोग ना तो किसी सियासी पार्टी से जुड़े हुए हैं और ना ही संगठन से. प्रशासन का सिरदर्द इसीलिए और बढ़ गया है.
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