Shaheen Bagh Protest Case: शाहीन बाग में CAA विरोधी आंदोलन के दौरान सड़क रोक कर बैठी भीड़ को हटाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल फैसला देगा. देश में कोरोना लॉकडाउन लागू होने के बाद भीड़ को हटा दिया गया था. लेकिन याचिकाकर्ताओं को उम्मीद है कि कोर्ट भविष्य में सड़क रोक कर प्रदर्शन किए जाने पर लगाम के लिए कुछ निर्देश दे सकता है.


दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ करीब 100 दिनों तक लोग सड़क रोक कर बैठे थे. दिल्ली को नोएडा और फरीदाबाद से जोड़ने वाले एक अहम रास्ते को रोक दिए जाने से रोज़ाना लाखों लोगों को परेशानी हो रही थी. इसके खिलाफ वकील अमित साहनी और बीजेपी नेता नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.


कोर्ट ने पुलिस को भीड़ पर कार्रवाई का निर्देश देने की बजाय लोगों को समझा कर हटाना उचित समझा. इस काम के लिए 2 वार्ताकार संजय हेगडे और साधना रामचंद्रन को नियुक्त कर दिया. लेकिन वह असफल रहे. मामला 23 मार्च को सुनवाई के लिए लगना था. लेकिन कोरोना के चलते कोर्ट केेआ सामान्य कामकाज बाधित हो गया.


आखिरकार 21 सितंबर को मामला जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने लगा. उस दिन सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जजों को बताया कि लॉकडाउन लागू होने के बाद प्रदर्शकारियों को सड़क से हटा दिया गया था. इस जानकारी के बाद कोर्ट ने मामले पर आगे सुनवाई को गैरज़रूरी माना.


याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट से अनुरोध किया गया कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचाव के लिए वह कुछ निर्देश दे. सुनवाई के दौरान भी कई बार लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन के अधिकार और लोगों के मुक्त आवागमन के अधिकार में संतुलन की बात उठी थी. जजों ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 21 सितंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था. अब मामले से जुड़े सभी पक्षों की नज़र इस बात पर है कि कोर्ट कल सिर्फ मामले को बंद करने का आदेश देगा या विरोध प्रदर्शनों को लेकर कुछ निर्देश देगा.