नई दिल्ली: शाहीन बाग़ प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया है. शाहीन बाग़ के लोगों का कहना है कि प्रदर्शन कानूनी दायरे में रहकर होना चाहिए लेकिन इस के लिए गाइडलाइंस भी सरकार को तय करनी चाहिए.


इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीएए के विरोध में सड़क जाम को लेकर बुधवार को फैसला सुनाया.  बता दें शाहीन बाग में दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक सीएए के खिलाफ करीब 3 महीने तक प्रदर्शन चला.


यह प्रदर्शन कालिंदी कुंज सरिता विहार रोड पर हो रहा था और जहां यह हो रहा था वह शाहीन बाग इलाका है. बुधवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया जिसमें कोर्ट की तरफ से कई महत्वपूर्ण चीजें स्पष्ट कर दी गई हैं और कोर्ट की तरफ से एक बड़ा संदेश भी सामने आया.


प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से साफ कहा गया है कि प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है लेकिन किसी प्रदर्शन की वजह से दूसरे लोगों को परेशानी ना हो यह भी जरूरी है इसलिए इन दोनों के बीच संतुलन होना बहुत जरूरी है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा,  "संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत शांतिपूर्ण विरोध करना लोगों का संवैधानिक अधिकार है लेकिन इस अधिकार की सीमाएं हैं सार्वजनिक जगह को अनिश्चितकाल तक बंद नहीं किया जा सकता, दूसरे लोगों के आने-जाने के रास्ते को बंद नहीं किया जा सकता है. ऐसे स्थिति में  प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए इस मामले में भी कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं किया."


सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर भी टिप्पणी की जिसमें कोर्ट की तरफ से कहा गया कि हमारा काम किसी कार्रवाई की वैधता तय करना है. प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. इसके लिए हमारा सहारा नहीं लेना चाहिए. अगर इस मामले में कार्यवाही की गई होती तो याचिकाकर्ताओं को यहां आने की जरूरत नहीं होती.


शाहीन बाग प्रदर्शन से लोगों को नुकसान भी उठाना पड़ा है. रोज आने-जाने वाले लोगों को तकरीबन 200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. जिसमें शाहीन बाग़ व्यापारियों को अलग से 100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है और अगर सरकार की बात करें तो प्रशासन के मुताबिक सरकार को 20 करोड़ का नुकसान हुआ है.


इस फैसले के बाद शाहीन बाग प्रदर्शन का चेहरा रहे कई लोगों ने एबीपी न्यूज से बात की,  शाहीन बाग का चेहरा रही बिलकिस दादी ने भी हमसे बात करते हुए कहा, "वह इस फैसले का सम्मान करती हैं और चाहती हैं कि सभी लोग समाज में आपसी भाईचारे के साथ रहें."


सोशल एक्टिविस्ट और शाहीन बाग प्रदर्शन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली शाहीन कौसर ने भी इस फैसले का सम्मान करते हुए अपनी बात रखी. उनका कहना है, " मेरा वहां शामिल होना ही इस बात का सुबूत है कि मैं  सिर्फ एक प्रोटेस्टर की हैसियत से नहीं बल्कि जिम्मेदार नागरिक की हैसियत से शामिल हुई थी. जो कुछ वहां हो रहा था उसको बहुत गहराई से मैं महसूस कर रही थी. प्रदर्शनकारी लाखों की संख्या में वहां थे. सड़क से आने-जाने वाले लोगों को आने-जाने की परेशानी हो रही थी उसको हम महसूस कर रहे थे. कोशिश थी हमारी भी की लोगों को परेशानी ना हो.  कोर्ट का जो फैसला आया है उसका में सम्मान करती हूं. संवैधानिक अधिकार है प्रदर्शन भी करें लेकिन कानूनी दायरे में रहकर."


शाहीन बाग के प्रदर्शन को बारीकी से देखने वाले शाहीन बाग के ही रहने वाले एडवोकेट मुजीब उर रहमान ने भी इस फैसले के बाद अपनी बात सामने रखी.  उनका कहना है, " इस फैसले को देखते हुए सरकार को गाइडलाइंस बनानी चाहिए कि कैसे प्रदर्शन हो. फैसला है तो मानेंगे ही. सुप्रीम कोर्ट का फैसला है तो सब को मानना ही होगा."


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