शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों से दो घंटे तक हुई चर्चा, नहीं निकला कोई नतीजा, अब कल फिर बातचीत करेंगे वार्ताकार
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त किए गए वार्ताकार साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े शाहीन बाग पहुंचे. दोनों ने प्रदर्शनकारियों से दो घंटे तक बातचीत की. उन्होंने कहा कि कल वे फिर आएंगे. रविवार तक बातचीत के लिए समय है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त हुए वार्ताकार आज शाहीन बाग पहुंचे और वहां प्रदर्शनकारियों से करीब दो घंटे तक बातचीत की. आज की बातचीत खत्म हो गई. कल फिर बातचीत होगी. बातचीत के लिए रविवार तक का समय है. सीनियर वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन आज प्रदर्शनकारियों से मिलने शाहीन बाग पहुंचे. साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े ने कहा कि वे कल फिर आएंगे. बता दें कि आज की बातचीत मीडिया की गैरमौजूदगी में हुई.
प्रदर्शनकारियों ने कहा- पुलिस वैकल्पिक रास्ते नहीं खोलती है
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के विरोध में पिछले 67 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इस वजह से दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाला कालिंद कुंज रोड बंद पड़ा हुआ है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक ये कानून वापस नहीं लिया जाता है तब तक वे यहां से नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि हमने सिर्फ 150 मीटर का हिस्सा घेरा हुआ है. बाकी की सड़क को दिल्ली और यूपी पुलिस ने घेरा हुआ है. बंद सड़क के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं. पुलिस वैकल्पिक रास्ते नहीं खोलती है.
हम उनसे मिले और उनकी बातें सुनीं- साधना रामचंद्रन
साधना रामचंद्रन ने कहा, ''हम उनसे मिले और उनकी बातें सुनीं. हमने उनसे पूछा कि क्या वे चाहते हैं कि हम कल वापस आएं क्योंकि एक दिन में वार्ता पूरी करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि हम कल वापस आएं, इसलिए हम आएंगे.''
आज दोनों वार्ताकार तीन बजे के आसपास शाहीन बाग पहुंचे. उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बातचीत करने आए हैं ताकि कोई हल निकाला जा सके. साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनस्थल पर बड़ी संख्या में जमा लोगों से कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन करने के आपके अधिकार को बरकरार रखा है. लेकिन अन्य नागरिकों के भी अधिकार हैं, जिन्हें बरकरार रखा जाना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'हम मिलकर समस्या का हल ढूंढना चाहते हैं. हम सबकी बात सुनेंगे.' पहले संजय हेगड़े ने वहां मौजूद लोगों को सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंग्रेजी में पढ़कर सुनाया. इसके बाद साधना रामचंद्रन ने हिंदी में उसका अनुवाद कर प्रदर्शनकारियों को बताया.