संजय राउत के बयान पर शाहनवाज हुसैन का पलटवार, कहा- UPA में हो गई बगावत
शाहनवाज हुसैन ने पूछा कि कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि उनके गठबंधन में क्या चल रहा है. आखिर ऐसी क्या नौबत आ गई कि उनके सहयोगी दल यूपीए अध्यक्ष की तौर पर सोनिया गांधी के नेतृत्व को नहीं स्वीकर रहे हैं.
नई दिल्ली: शरद पवार को यूपीए की कमान सौंपने की बात वाले सामना के लेख और शिवसेना सांसद संजय राउत के बयान पर बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने सवाल उठाते हुए पूछा है कि ऐसे में अब कांग्रेस को ही जवाब देना चाहिए कि आखिर उनके गठबंधन में चल क्या रहा है. आखिर ऐसी नौबत क्यों आ गई कि उनके सहयोगी दल ही यूपीए चेयरपर्सन के तौर पर सोनिया गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रहे.
बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने संजय राउत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि संजय राउत का बयान यही दिखा रहा है कि अब यूपीए में भी बगावत हो गई है. महाराष्ट्र में जिस दल के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार चला रही है, अब उसी दल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के यूपीए की चेयरपर्सन बने रहने को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह दिखाता है कि यूपी में सब कुछ ठीक नहीं है.
शाहनवाज़ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि फिलहाल देश की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कामों और उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों के साथ में है. ऐसे में भले ही यूपीए का चेयर पर्सन कोई भी हो, कितने भी विपक्षी दल साथ आ जाए लेकिन देश की जनता का भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर है. शाहनवाज हुसैन ने कहा कि जिस तरह से देश की जनता का भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर है उससे 2024 में भी यूपीए को देश की जनता कोई मौका नहीं देगी भले ही चेहरा कोई भी क्यों ना हो.
इससे पहले शिवसेना ने अपने संपादकीय सामना के जरिए इशारों-इशारों में केंद्रीय विपक्ष पर हमला बोला था. संपादकीय में परोक्ष रुप से यूपीए का नेतृत्व शरद पवार को सौंपने की बात कही गई है. साथ ही इस लेख में राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठाए गए हैं. लेख में कहा गया है कि जब तक यूपीए में बीजेपी विरोधी सारे दल शामिल नहीं होते, तब तक विपक्ष मोदी के सामने बेअसर ही रहेगा.
इतना ही नहीं सामना में तो यहां तक लिखा गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए नाम का एक राजनीतिक संगठन है. फिलहाल इस यूपीए की हालत एक एनजीओ की तरह नजर आती है. यूपीए में शामिल पार्टियां किसानों के आंदोलन को गंभीरता से लेते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं. केंद्र में मौजूदा विपक्ष बेजान हो चुका है. सामना के लेख में कहा गया है कि कांग्रेस की स्थिति ऐसी पार्टी की हैं जिसके पास पूर्णकालिक अध्यक्ष भी नहीं है.
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