नेपाल की नदी से निकली पवित्र शिलाओं से बनेगी अयोध्या में स्थापित होने वाली राम-सीता की मूर्ति, जानिए खासियत
Shaligram Stone In Nepal: नदी के किनारे से इन शिलाओं को निकालने से पहले धर्मिक अनुष्ठान किए गए. नदी से क्षमा मांगी गई, इसके लिए विशेष पूजा की गई.
Shaligram Stone: अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, संभावना जताई गई है कि साल 2024 तक मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. मंदिर में भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करने के लिए नेपाल से शालिग्राम की दो शिलाएं लाई जा रही हैं. इन शिलाओं के बारे में दावा किया जा रहा है कि ये करीब 6 करोड़ साल पुरानी हैं. मगर, इनसे बनी मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएंगी या परिसर में इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है.
नेपाल के पोखरा में बहने वाली काली गंडकी जिसको शालिग्रामी नदी के नाम से भी जाना जाता है, यहीं से दो शिलाएं लाई जा रही हैं. यहां पूजा होने के बाद शिलाओं को ट्रक पर लादकर सड़क मार्ग से अयोध्या लाया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक एक शिला का वजन 26 टन और दूसरी शिला का 14 टन है.
2 फरवरी को अयोध्या आ सकती है शिला
शालिग्राम की दोनों शिलाओं को 26 जनवरी को लादा गया था, जो 2 फरवरी तक अयोध्या आ सकती हैं. राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल ने कहा, "हमें अभी शिलाओं को अयोध्या लाने के लिए कहा गया है. शिलाओं के अयोध्या पहुंचने के बाद ट्रस्ट अपना काम करेगा. शालिग्रामी नदी से निकाली गईं ये दोनों शिलाएं करीब 6 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही हैं."
नदी से क्षमा मांगी गई...
कामेश्वर चौपाल ने कहा कि नदी के किनारे से इन शिलाओं को निकालने से पहले धर्मिक अनुष्ठान किए गए. नदी से क्षमा मांगी गई, इसके लिए विशेष पूजा की गई. शिला का गलेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक किया गया है. बता दें कि नेपाल में बहने वाली शालिग्रामी नदी को भारत में प्रवेश करने के बाद नारायणी नदी कहा जाता है. वहीं भारत में सरकारी कागजों में इसे बूढ़ी गंडकी के नाम से जाना जाता है.
शालिग्रामी नदी के काले पत्थर भगवान शालिग्राम के रूप में पूजे जाते हैं. माना जाता है कि शालिग्राम का पत्थर पूरी दुनिया में शालिग्रामी नदी में ही मिलता है. यह नहीं बिहार के सोनपुर में गंगा नदी में आकर मिल जाती है. दोनों शिलाओं के साथ में करीब 100 लोगों का जत्था चल रहा है. इनके लिए जगह-जगह आराम करने की व्यवस्था की गई है.