सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की शिकायतों के सौहार्दपूर्ण निवारण के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस नवाब सिंह की अध्यक्षता में सोमवार (2 सितंबर, 2024) को एक समिति का गठन किया. कोर्ट ने कहा कि किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए.


जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने समिति को निर्देश दिया कि एक हफ्ते के अंदर वह अपनी पहली बैठक बुलाए. उसने समिति से यह भी कहा कि आंदोलनकारी किसानों से संपर्क साधे और उनसे तत्काल पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू सीमा से ट्रैक्टर और ट्रॉली आदि हटाने को कहा जाए ताकि आम यात्रियों को राहत मिले.


बेंच ने कहा कि पंजाब और हरियाणा की सरकारें समिति को सुझाव देने के लिए स्वतंत्र होंगी. समिति में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी पी एस संधू, देवेंद्र शर्मा, प्रोफेसर रंजीत सिंह घुमम्न और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ सुखपाल सिंह शामिल हैं.


उच्चाधिकार प्राप्त समिति को विचार-विमर्श के लिए मुद्दे तैयार करने की सलाह देते हुए पीठ ने समिति के अध्यक्ष को निर्देश दिया कि जब भी आवश्यकता हो, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी आर कंबोज को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जाए और उनकी विशेषज्ञ राय ली जाए. पीठ ने प्रदर्शनकारी किसानों को आगाह किया कि वे राजनीतिक दलों से एक सुरक्षित दूरी बनाकर रखें और ऐसी मांगों पर अड़े न रहें जो व्यवहार्य नहीं हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों के मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और समिति को उन पर चरणबद्ध तरीके से विचार करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को उनका शांतिपूर्ण आंदोलन वैकल्पिक स्थानों पर ले जाने की आजादी होगी. बेंच हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. आदेश में सरकार से अंबाला के पास शंभू सीमा पर लगाए गए अवरोधकों को एक सप्ताह में हटाने को कहा गया था जहां प्रदर्शनकारी किसानों ने 13 फरवरी से डेरा डाल रखा है.


हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवरोधक लगा दिए थे, जब संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और ‘किसान मजदूर मोर्चा’ ने घोषणा की थी कि किसान अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली तक मार्च करेंगे, जिसमें उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग भी शामिल है.


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