'उन्हें नहीं पता हिंदुओं का दर्द', मोहन भागवत को लेकर अब क्या बोले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
RSS chief Mohan Bhagwat: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर फिर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि मोहन भागवत हिंदुओं की दुर्दशा को नहीं समझते हैं.
Swami Avimukteshwaranand Saraswati: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने हाल में ही अपने बयान कहा था कि कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि वो मंदिर और मस्जिद का मुद्दा उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं.
उनके इस बयान पर अब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पलटवार किया है. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बुधवार (25 दिसंबर) को कहा, "मोहन भागवत हिंदुओं की दुर्दशा को नहीं समझते हैं."
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने की मोहन भागवत की आलोचना
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हालिया टिप्पणी की आलोचना करते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, "कई हिंदू मंदिर तोड़े जा रहे हैं. यह सच्चाई है. उन्हें हिंदुओं का दर्द महसूस नहीं हो रहा है. यह उनके बयान से स्पष्ट है. वह हिंदुओं की दुर्दशा को सही मायने में नहीं समझते हैं."
आरएसएस प्रमुख ने 19 दिसंबर को कई मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता व्यक्त की थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर "हिंदुओं के नेता" बन सकते हैं.
'नहीं रखते हैं हिंदू नेता बनने की इच्छा'
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, "मोहन भागवत ने दावा किया है कि कुछ लोग नेता बनने के लिए ये मुद्दे उठाते हैं, लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि आम हिंदू नेता बनने की आकांक्षा नहीं रखते हैं." बता दें कि इससे पहले भी शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि जब उन्हें सत्ता प्राप्त करनी थी, तब वह मंदिर-मंदिर करते थे अब सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं ढूंढ़ने की नसीहत दे रहे हैं.
उन्होंने पूर्व में आक्रांताओं द्वारा कथित रूप से तोड़े गए मंदिरों की सूची बनाकर उनका पुरातत्व सर्वेक्षण किए जाने तथा हिंदू समाज के गौरव को पुनः पुरस्थापित किए जाने की भी मांग की थी. उन्होंने कहा था, "अगर अब हिंदू समाज अपने मंदिरों का पुनरूद्धार कर उन्हें पुनः संरक्षित करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है?" Mohan Bhagwa