नरसिंहपुरः अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के मुहूर्त पर सवाल उठा रहे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि राम जन्मस्थली पर मंदिर का निर्माण भव्य अंकोरवाट मंदिर की शैली में होना चाहिये. मगर इसमें परेशानी अयोध्या में स्थित उस गर्भ गृह की है जो संकरी गलियों में स्थित है. वहीं शंकराचार्य ने उन आरोपों पर भी सफाई दी जिसमें कहा गया कि वह मंदिर विरोधी हैं. उन्होंने कहा कि वह सिर्फ हिंदू धर्म के वेदों के आधार पर अपनी बात कह रहे हैं.


एबीपी न्यूज से नरसिंहपुर जिले में स्थित झोंतेश्वर में अपने आश्रम में बात करते हुये द्वारका और बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य स्वरूपानंद ने सारे सवालों के विस्तार से जबाव दिये.


'विवाद नहीं सुलझाना चाहते थे वीएचपी नेता'


शंकराचार्य ने उन पर लग रहे आरोपों पर सवाल खड़ा किया और पूछा कि वह मंदिर विरोधी कहां से हो गये? उन्होंने कहा, “रामजन्मभूमि में भव्य मंदिर बने इसके लिये कितना खून पसीना मैंने बहाया है बताना कठिन है. मंदिर विवाद सुलझाने में हुयी अधिकतर कोशिशों की बैठकों में मैं शामिल रहा हूं.”


स्वामी स्वरूपानंद ने साथ ही कहा कि सबसे पहले तथ्यों के साथ उन्होंने ही मंदिर की बात कही थी. उन्होंने कहा, “मैं पहला आदमी हूं जो तथ्यों के साथ यह कहता था कि विवादित जगह मस्जिद नहीं मंदिर है. उस जगह के स्तंभों पर देवी-देवताओं के शिल्प उभरे हुये थे, जो मैं मंदिर से जुडी बैठकों में दिखाता था.”


उन्होंने दावा किया कि मंदिर विवाद कई बार सुलझने के करीब पहुंच गया था, मगर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेता आखिरी क्षणों में पलट जाते थे. उन्होने वीएचपी नेताओं पर आरोप लगाया कि असल में वह मंदिर विवाद का हल चाहते ही नहीं थे.


एबीपी न्यूज से बात करते हुए शंकराचार्य ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से लेकर पीवी नरसिंह राव और जैन मुनि आचार्य सुशील ने विवाद सुलझाने के लिये बहुत गंभीरता से प्रयास किये और उनकी बातें मुस्लिम समाज के नेता मानने को तैयार होते थे, मगर वीएचपी के नेता इस मुददे को बीजेपी की राजनीति के लिये खत्म नहीं होने देना चाहते थे.”


कांग्रेस समर्थक होने के आरोप पर सफाई


97 साल के बुजुर्ग, मगर रानजीतिक रूप से सजग शंकराचार्य स्वरूपानंद महाराज रोज तेज रोशनी में सहयोगियों की मदद से दो घंटे अखबार पढते हैं.



(अपने आश्रम में अखबार पढ़ते हुए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती)

राजनीतिक मामलों पर हमेशा मुखर रहने वाले स्वामी स्वरूपानंद से जब एबीपी न्यूज ने पूछा कि आपको कांग्रेसी पक्ष का माना जाता है, तो वह हंस कर बोले- “1942 में मैं अंग्रेजों के खिलाफ अपने स्कूली दिनों में आजादी के आंदोलन में शामिल हुआ था और दो बार जेल गया तो उस वक्त तो कांग्रेस पार्टी का ही कार्यकर्ता कहलाया. आजादी के आंदोलन में तो सभी कांग्रेस पार्टी से जुडे थे.”

उन्होंने कहा, “जनसंघ के नेता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी तो कांग्रेस में ही थे, बाद में वो अलग हो गये. मगर बात बीजेपी कांग्रेस की नहीं है. मैं तो दिल्ली में हुये गौ रक्षा आंदोलन में भी जेल गया. पर ये बात कम लोग जानते है.”


मंदिर विरोधी कहे जाने पर उठाया सवाल


मंदिर विरोधी कहे जाने पर उन्होंने कहा कि वह सिर्फ वेदों के अनुसार काम करने की बात कह रहे थे. शंकराचार्य ने सफाई देते हुए कहा, “मुझे मंदिर विरोधी क्यों कहा जा रहा है? मैंने तो सिर्फ ये कहा कि हिंदू धर्म वेदों से चलता है. वेदों में कहा गया है कि भूमि पूजन का मुहूर्त शुभ होना चाहिये. इन दिनों देव शयन पर हैं. कुछ शुभ कार्य नहीं किया जाता. ये काम दो महीने बाद भी हो सकता था जब देव उठनी ग्यारस हो जाती.”


शंकराचार्य ने इसमें राजनीति किए जाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “ये तो सब जान रहे हैं कि मंदिर का ये भूमि पूजन खास राजनीतिक मकसद के तहत हो रहा है. कोई बोल नहीं रहा, मैं तो बोलुंगा क्योंकि मुझे हिंदू धर्म का ज्ञान है और धर्म में क्या गलत, क्या सही है ये कहने को ही मुझे इस परम पद पद बैठाया गया है.”


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