कोलकाता: ठाकुर नगर में आज दिवाली जैसा जश्न हो रहा है. परिवार का एक सदस्य मंत्री जो बन रहा है. शांतनु ठाकुर (Shantanu Thakur) के मंत्री बनते ही इस इलाके में और मतुआ समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी. बंगाल के पूर्व मंत्री मंजुल कृष्ण ठाकुर के बेटे शांतनु ठाकुर एक भारतीय राजनेता हैं, जो 2019 से बनगांव से लोकसभा के सदस्य हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र में 2019 के आम चुनाव में वह चुने जाने वाले पहले गैर-टीएमसी सांसद बने. वह अखिल भारतीय मतुआ महासंघ के नेता हैं.


पश्चिम बंगाल (West Bengal) में राजनीतिक दल हर जाति के मतदाताओं को विशेष रूप से एसटी, एससी और ओबीसी के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते हैं. मतुआ समुदाय इस वोट बैंक की राजनीति के केंद्र में है. उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और नदिया जैसे जिलों में फैले लगभग 3 करोड़ की आबादी वाला एक अनुसूचित जाति समुदाय मतुआ है.


लगभग 50-70 विधानसभा क्षेत्रों में विजयी उम्मीदवारों को तय करने में समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी ने 2019 के आम चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के दम पर मतुआ समुदाय के वोटों पर कब्जा कर अनुसूचित जाति की 10 सीटों में से चार पर जीत हासिल की थी.


शांतनु ठाकुर ने हासिल की थी जीत


मतुआ समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नेता के तौर पर शांतनु ठाकुर ने 2019 की बनगांव सीट से ममता बाला को हराकर बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की. यहां तक ​​कि वह पीएम मोदी के साथ उनके ओरकंडी दौरे पर भी गए थे. ओरकंडी क्षेत्र हिंदू मतुआ समुदाय के सैकड़ों लोगों का निवास स्थान है. वहां उन्होंने मतुआ समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की.


पीएम मोदी ने हरिचंद-गुरीचंद मंदिर में पूजा की. सीमा के भारतीय हिस्से में लाखों मतुआ मतदाताओं ने इसे करीब से देखा था. वहीं 2021 के बनगांव विधानसभा चुनाव में अशोक कीर्तनिया (बीजेपी) ने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के श्यामल रॉय को 10,488 मतों से हराया.


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