नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार गठन पर सस्पेंस और बढ़ गया है. दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हमने महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की है, सरकार बनाने पर नहीं. उन्होंने कहा कि हमने सोनिया गांधी को महाराष्ट्र की स्थिति के बारे में बताया है.


शरद पवार ने कहा, ''दोनों पार्टियों (कांग्रेस-एनसीपी) के वरिष्ठ नेताओं की राय लेंगे और आगे का रास्ता तय करेंगे. किसी के साथ सरकार बनाने की बात नहीं की है, संख्याबल पर बात हुई.'' उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में स्वाभिमानी शेतकारी पार्टी हमारे साथ लड़ी थी, समाजवादी पार्टी भी हमारे साथ थी. इनके साथ बात नहीं हुई है, उन्हें भी विश्वास में लेना है. किसी के साथ जाने या नहीं जाने पर अभी बात नहीं हुई है. हमारे पास छह महीने हैं.


एनसीपी अध्यक्ष ने बीजेपी के साथ जाने के सवाल का साफ-साफ जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि हम तो खिलाफ लड़े हैं, कांग्रेस के साथ थे. उन्होंने उद्धव ठाकरे के साथ बातचीत को लेकर कहा कि मेरी बात हुई थी, लेकिन क्या हुई ये नहीं बताऊंगा.


बैठक को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''शरद पवार ने आज कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की और उन्हें महाराष्ट्र की स्थिति के बारे में जानकारी दी. यह तय किया गया कि एक या दो दिन में, एनसीपी और कांग्रेस के प्रतिनिधि दिल्ली में बैठक कर आगे के रुख पर चर्चा करेंगे.''


सोनिया गांधी के साथ अपनी मुलाकात से पहले शरद पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र में सरकार गठन का दावा कर रहे सभी दलों को 'अपना रास्ता चुनना' होगा. उन्होंने कहा, “बीजेपी-शिवसेना साथ लड़े, हम (एनसीपी) और कांग्रेस साथ मिलकर लड़े. उन्हें अपना रास्ता चुनना है और हम अपनी राजनीति करेंगे.”


शिवसेना का दावा


बता दें कि शिवसेना ने दावा किया है कि तीनों पार्टियां साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमत हो गई हैं और जल्द सरकार बन जाएगी. शिवसेना कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है.


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महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और बहुमत के लिये जरूरी आंकड़ा 145 विधायकों का है. बीजेपी और शिवसेना ने क्रमश: 105 और 56 सीटें जीतकर बहुमत का आंकड़ा आसानी से हासिल कर लिया था लेकिन मुख्यमंत्री पद पर साझेदारी को लेकर दोनों में सहमति नहीं बनी और सरकार भी नहीं बन पाई.


कांग्रेस और एनसीपी के बीच भी चुनाव पूर्व गठबंधन था और उन्होंने क्रमश: 44 और 54 सीटें जीती थीं. महाराष्ट्र में किसी भी दल की तरफ से सरकार बनाने के लिए दावा नहीं किए जाने के बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है.


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