Sharad Pawar Book: 2019 में पीएम मोदी से क्यों की थी मुलाकात? शरद पवार ने किताब में खोले कई राज
Lok Maza Sangati: एनसीपी से इस्तीफा देने की बात कहकर राजनीति हलके में हलचल मचा देने वाले शरद पवार ने अपनी किताब में कई खुलासे किए हैं. इसी में उन्होंने बताया कि वो पीएम मोदी से क्यों मिले थे.
Sharad Pawar Book Lok Maze Sangati: एनसीपी नेता शरद पवार ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) महाराष्ट्र में साल 2019 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ चुनाव के बाद गठबंधन करने की इच्छुक थी, लेकिन इसके अध्यक्ष शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्पष्ट कर दिया था कि बीजेपी के साथ उनकी पार्टी का कोई समझौता नहीं हो सकता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पवार ने मंगलवार को विमोचित अपनी संशोधित जीवनी ‘लोक माझे संगाति’ में यह भी स्वीकार किया कि महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद जब सरकार गठन को लेकर अनिश्चितता थी तब एनसीपी और बीजेपी के कुछ नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई थी. पवार की संशोधित जीवनी में 2015 के बाद की घटनाओं पर रोशनी डाली गई है.
बीजेपी से गठबंधन में एनसीपी की दिलचस्पी कम
पवार ने लिखा है, “बीजेपी ने यह संभावना टटोलनी शुरू कर दी थी कि क्या एनसीपी के साथ गठबंधन की कोई संभावना हो सकती है, लेकिन मैं इस प्रक्रिया में शामिल नहीं था. यह सिर्फ बीजेपी की इच्छा थी और बीजेपी के साथ कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई थी लेकिन दोनों दलों के चुनिंदा नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई.”
उन्होंने कहा कि चूंकि एनसीपी की दिलचस्पी कम थी, इसलिए उसने बीजेपी के साथ नहीं जाने का फैसला किया और बीजेपी को ये साफ-साफ बताना जरूरी था. पवार ने अपनी किताब में लिखा है, इसी के अनुरूप उन्होंने नवंबर 2019 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.
शरद पवार की पीएम मोदी से मुलाकात
एनसीपी नेता ने 20 नवंबर, 2019 को मोदी से मुलाकात की और उन्हें महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद किसानों के संकट से अवगत कराया. पवार ने तब टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था कि उनके और मोदी के बीच क्या बातचीत हुई थी, क्योंकि राज्य में सरकार गठन पर अनिश्चितता की स्थिति थी. एनसीपी, अविभाजित शिवसेना और कांग्रेस गठबंधन की बातचीत कर रहे थे.
पवार ने अपनी किताब में कहा है, “मैंने मोदी से मुलाकात की और उन्हें बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि हमारे (बीजेपी और एनसीपी) के बीच कोई राजनीतिक समझौता नहीं हो सकता है लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि जब मैं यह कह रहा था तब पार्टी में नेताओं का एक तबका था जो बीजेपी से संबंध चाहता था.” पवार के भतीजे अजित पवार ने पाला बदला और अल्पकालिक देवेंद्र फडणवीस सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
2014 में भी बीजेपी ने की गठबंधन की कोशिश
पवार ने दावा किया कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय में भी बीजेपी, एनसीपी के साथ गठबंधन चाहती थी. पवार ने कहा कि साल 2014 में भी बीजेपी ने एनसीपी को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी. राज्य में 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन उसके पास बहुमत नहीं था. शिवसेना, बीजेपी, कांग्रेस और एनसीपी ने विधानसभा चुनाव में अलग-अलग चुनाव लड़ा था.
पवार ने कहा, “मैं बीजेपी के साथ 2014 में हुई बातचीत के दौरान मौजूद नहीं था, लेकिन मुझे इसकी जानकारी थी. तभी अचानक, बीजेपी ने शिवसेना के साथ अपना नाता सुधार लिया और शिवसेना सरकार का हिस्सा भी बन गई. इससे हमारे नेताओं को यह अहसास हुआ कि बीजेपी पर भरोसा करना उचित नहीं है.”
पवार ने मंगलवार को किताब के विमोचन के मौके पर घोषणा की थी कि वह एनसीपी के प्रमुख का पद छोड़ देंगे. उन्होंने 1999 में इस राजनीतिक संगठन की स्थापना की थी.
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