महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019: बीते तीन दशक में बात चाहे राज्य की हो या केंद्र की शरद पवार महाराष्ट्र का बड़ा सियासी चेहरा रहे. लेकिन 5 साल पहले शरद पवार के हाथ से सत्ता निकलते ही उनके अपने ही साथ छोड़कर जा चुके हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में 78 साल के शरद पवार अपनी पार्टी एनसीपी को बचाने के लिए चुनावी मैदान में हैं. पार्टी बचाने की लड़ाई में शरद पवार के साथ सिर्फ उनकी बेटी सुप्रिया सुले बची हैं, क्योंकि महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और उनके भतीजे अजीत पवार ने भी राजनीति से संन्यास ले लिया है.


27 साल की उम्र में शुरू हुई राजनीति


50 साल से महाराष्ट्र की राजनीति में एक्टिव शरद पवार का जन्म साल 1940 में हुआ था. 27 साल की उम्र में शरद पवार ने बारामती से अपना पहला चुनाव लड़ा और महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे. 1978 में शरद पवार जनता पार्टी के सहयोग के साथ 38 साल की पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. हालांकि 1980 में शरद पवार की सरकार को इंदिरा गांधी ने बर्खास्त कर दिया था. 1984 में शरद पवार पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब हुए. लेकिन 1985 में शरद पवार ने राज्य की राजनीति में ही बने रहने का फैसला किया और उनकी पार्टी कांग्रेस सोशलिस्ट को 288 में से 54 सीटों पर जीत मिली. शरद पवार महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष चुने गए.


1987 में शरद पवार ने दोबारा कांग्रेस में वापसी का फैसला किया. राज्य में शिवसेना के उभार की वजह से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ रहीं थी और शरद पवार के आने से कांग्रेस फिर से मजबूत हुई. 1988 में राजीव गांधी ने शरद पवार को महाराष्ट्र का सीएम बनाने का फैसला किया. 1990 के चुनाव में शरद पवार सत्ता में बने रहने में कामयाब रहे.



राजीव गांधी की हत्या के बाद पवार पीएम पद के उम्मीदवारों की रेस में शामिल थे. हालांकि उन्हें नरसिम्हा राव की सरकार में रक्षा मंत्री बनाया गया. 1993 में शरद पवार एक बार फिर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. 1995 में शरद पवार को बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के सामने हार का सामना करना पड़ा.


इस हार के बाद शरद पवार ने एक बार फिर से केंद्र में राजनीति करने का फैसला किया. 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में शरद पवार ने सीताराम केसरी को चुनौती दी, पर उनके हिस्से हार आई. 1998 के लोकसभा चुनाव में शरद पवार कांग्रेस को महाराष्ट्र में 33 सीटों पर जीत दिलाने में कामयाब रहे. 12वीं लोकसभा में शरद पवार को नेता विपक्ष बनाया गया.


एनसीपी का गठन


1999 में सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध करते हुए शरद पवार ने पी ए संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का गठन किया. लेकिन 1999 के विधानसभा चुनाव के बाद शरद पवार की पार्टी ने कांग्रेस का साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई. 2004 का लोकसभा चुनाव भी शरद पवार ने कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था और उन्हें यूपीए वन में कृषि मंत्री बनाया गया. 2004 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी-कांग्रेस सत्ता में वापसी करने में कामयाब रहे.


2009 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस एनसीपी का गठबंधन जारी रहा और केंद्र के साथ राज्य में भी सत्ता में वापसी हुई. 2014 के लोकसभा चुनाव में एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा. एनसीपी के महाराष्ट्र से 4 और कांग्रेस के सिर्फ दो सांसद ही राज्य से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर पाए. 2014 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी-कांग्रेस में सीटों पर सहमति ना बनने के चलते गठबंधन टूट गया. दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और 41 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली एनसीपी राज्य में चौथे नंबर की पार्टी बन गई.



हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और एनसीपी ने एक बार फिर से गठबंधन किया, लेकिन इस बार भी दोनों पार्टियों के सिर्फ 5 सांसद ही राज्य से लोकसभा में पहुंचे हैं. 2019 का विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस और एनसीपी मिलकर लड़ रहे हैं.


बड़े नेता छोड़ चुके हैं साथ


तीन चुनाव में हार का सामना करने के बाद एनसीपी के सचिन अहीर, पूर्व मंत्री मधुकर पिचड़, उनके पुत्र वैभव पिचड़, एनसीपी की पूर्व महिला प्रदेशाध्यक्ष चित्रा वाघ, शिवेंद्रराजे भोसले, रणजीत सिंह मोहिते-पाटिल, धनंजय महाडिक, राणा जगजीत सिंह पाटिल बीजेपी और शिवसेना में शामिल हो चुके हैं. इन नेताओं के अलावा और भी कई बड़े नाम हैं जो कि एनसीपी का साथ छोड़ चुके हैं. इसके अलावा बैंक घोटाले में शरद पवार का नाम आने के बाद उनके भतीजे अजीत पवार ने ना सिर्फ महाराष्ट्र विधानसभा से इस्तीफा दिया है, बल्कि राजनीति से संन्यास लेने की भी घोषणा कर दी है.


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