महाराष्ट्र: सुशांत सिंह राजपूत खुदकुशी की जांच सीबीआई से कराने को लेकर शरद पवार के खानदान की अंतर्कलह अब खुलकर सामने आ गई है. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के पोते पार्थ पवार ने सुशांत खुदकुशी मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी, लेकिन शरद पवार ने कहा कि वे पार्थ पवार की मांग को कौड़ीभर भी तवज्जो नहीं देते.


सीबीआई जांच की मांग के अलावा अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन का समर्थन करके पार्थ लगातार अपनी पार्टी लाइन के खिलाफ जा रहे हैं. पार्थ पवार की इन हरकतों ने सियासी हलकों में चर्चा छेड़ दी है कि पार्थ पवार और उनके पिता अजित पवार आने वाले दिनों में कोई बड़ा फैसला लेने के लिये जमीन तो नहीं तैयार कर रहे.


एनसीपी प्रमुख शरद पवार बुधवार को काफी गुस्से में नजर आये और पवार का ये गुस्सा उनके शब्दों में झलका. उनके गुस्से का कारण था उनका अपना ही पोता पार्थ पवार, जिसने हाल ही में पार्टी, परिवार और सरकार की लाइन के विपरीत जाकर सुशांत सिंह आत्महत्या मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी. पवार ने इस पर कहा कि वे पार्थ की इस मांग को कौड़ी भर भी तवज्जो नहीं देते.


महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ये साफ कर चुकी है कि वो सुशांत आत्महत्या मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ है. राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख जो कि एनसीपी से हैं, भी बार बार ये बयान दे चुके हैं कि मुंबई पुलिस की जांच ठीक चल रही है और इसे सीबीआई को दिए जाने की जरूरत नहीं, लेकिन उन्ही की पार्टी के एक नेता और सरकार में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ ने सरकार और अपनी पार्टी की लाइन से हटकर राग अलापा.


गृहमंत्री को हाल ही पार्थ पावर ने ज्ञापन देकर मांग की कि सुशांती की आत्महत्या की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिये. यही मांग महाराष्ट्र की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी भी कर रही थी. पार्थ पवार की इस मांग ने सभी को चौंकाया, लेकिन 5 अगस्त को अयोध्या में भूमिपूजन वाले दिन पार्थ ने फिर एक बार सभी को सकते में डाल दिया.


पार्थ ने एक बयान जारी करके कहा, “आखिरकार श्रीराम जो कि भारतीय आस्था और संस्कृति के प्रतीक हैं, शांति से अपने घर में होंगे. ये लड़ाई कड़वी और लंबी थी और आखिरकार एक पीढ़ी के तौर पर हम उस ऐतिहासिक दिन तक आ ही गये जो हिंदू धर्म की पुर्नस्थापना देखेगा." पार्थ पवार का ये बयान एनसीपी प्रमुख शरद पवार की ओर से दिये गये उस बयान के कुछ दिनों बाद ही आया, जिसमें उन्होने मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि कुछ लोग सोचते हैं कि मंदिर बना देने से कोरोना की महामारी खत्म हो जाएगी.


पार्थ पवार ने पिछले साल ही राजनीति में लोकसभा चुनाव लड़कर एंट्री की थी. वे चुनाव हार गये थे, जिसके बाद उनके पिता अजित पवार पार्टी से खफा हो गये थे. उनका मानना था कि पार्थ को जिताने में पार्टी ने मदद नहीं की. पिछले साल पवार खानदान से दो लोगों ने सियासत में कदम रखा था. एक पार्थ पवार और दूसरे रोहित पवार जो कि कर्जत-जामखेड़ सीट से विधायक चुने गये.


रोहित पवार ने तो चुनाव जीतने के बाद खुद को लो प्रोफाइल रखा है, लेकिन पार्थ पवार की हरकतों ने उनकी ओर सबका ध्यान खींचा है. सियासी हलकों में माना जा रहा है कि पार्टी और परिवार की लाइन से हटकर पार्थ पवार अपनी अलग राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश कर रह हैं, जिसका झुकाव बीजेपी की तरफ है.


पार्थ पवार के बयान पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसे उम्मीद है कि शरद पवार अपने पोते की इस हिमाकत को देखते हुए उसे सुधारने के लिये कोई कदम जरूर उठाएंगे. शिवसेना ने कहा कि पार्थ पवार के बयान को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जानी चाहिये. उनके बयान से गठबंधन को कोई आंच नहीं आने वाली. उधर बीजेपी ने पार्थ पवार के बयान का स्वागत किया है और कहा है कि पार्थ के बयान से पता चलता है कि वे सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने के पक्ष में हैं.


पार्थ पवार की हरकतों पर बारीकी से नजर इसलिये भी रखी जा रही है, क्योंकि उनके पिता अजित पवार ने पिछले साल पार्टी से बगावत करके बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी और खुद उपमुख्यमंत्री बन गये थे.


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