Sharad Pawar Flashback Story: राजनीति में हवा का रुख भांपने वाले दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाने वाले शरद पवार ने मंगलवार (2 मई) को अचानक एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी. उनके इस फैसले से एनसीपी नेताओं-कार्यकर्ताओं समेत तमाम दलों के नेता भी भौंचक रह गए. हालांकि, उनके भतीजे और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने कहा है कि शरद पवार ने अभी अपने फैसले पर विचार करने के लिए 2-3 दिन का समय मांगा है.
मौजूदा घटनाक्रम के चलते शरद पवार की राजनीतिक सूझबूझ की खासी चर्चा हो रही है. 2019 में महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के सीएम और अजित पवार के डिप्टी सीएम बनने के कुछ घंटों बाद सरकार गिरने के पीछे पवार के 'पावर' ने काम किया था.
वहीं, महाविकास अघाड़ी के अस्तिस्व, उसकी सरकार और तब उद्धव ठाकरे के सीएम बनने के पीछे भी पवार की सूझबूझ ही मानी जाती है. एक और फ्लैशबैक स्टोरी याद आती है जब शरद पवार ने इंदिरा गांधी को 'पावर पॉलिटिक्स' का दांव दिखा दिया था.
इंदिरा गांधी को दिखाया 'पावर पॉलिटिक्स' का दांव
उस दौर में आपातकाल के दौरान और उसके बाद कांग्रेस के खिलाफ माहौल तैयार हो रहा था. आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक चला था लेकिन 1978 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल हो गई थी. इंदिरा गांधी तब कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष थीं. उस वक्त शरद पवार की उम्र महज 38 वर्ष थी और उन्होंने इंदिरा गांधी को अपनी पॉलिटिक्स का पावर दिखाने की ठान ली थी.
1978 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी को 99 सीटें, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 69 और इंडियन कांग्रेस (इंदिरा) को 62 सीटें मिली थीं. किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस के दोनों धड़े- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और इंडियन कांग्रेस (इंदिरा) ने मिलकर सरकार बनाई. वसंतदादा पाटिल मुख्यमंत्री बने. वहीं, इंडियन कांग्रेस (इंदिरा) के नाशिक राव तिरपुड़े उपमुख्यमंत्री बने.
1978 में ही कांग्रेस से अनबन के चलते शरद पवार ने वसंतदादा पाटिल के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार से नाता तोड़ लिया. शरद पवार, प्रियरंजन दास मुंशी, एके एंटनी और सरत चंद्र सिन्हा ने मिलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) पार्टी का गठन किया. उन्होंने जनता पार्टी और पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया (PWP) के साथ गठबंधन किया और प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट (PDF) बना लिया.
पवार के दांव ने अपने पक्ष में की बाजी, बन गए थे सबसे कम उम्र के CM
पवार ने करीब 40 विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया, जिसके बाद वसंतदादा की सरकार अल्पमत में आ गई. तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतदादा और डिप्टी सीएम नाशिक राव को इस्तीफा देना पड़ा. 18 जुलाई 1978 को महाराष्ट्र में प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार बनी और शरद पवार ने सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. हालांकि वह सरकार 18 महीने चल सकी थी. केंद्र में इंदिरा गांधी के वापसी करने के बाद उस सरकार को फरवरी 1980 में बर्खास्त कर दिया गया था.
यह भी पढ़ें- शरद पवार का 'सेफ एग्जिट', अजित को भी साधा, पार्टी और इज्जत भी बचाई; रिटायरमेंट के मायने क्या हैं?