New Parliament Building: नए संसद भवन के उद्घाटन पर विपक्ष के बायकॉट को लेकर घमासान जारी है. इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार और दिव्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार (25 मई) को मुलाकात की. इसके बाद पवार ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मुद्दे पर पहले चर्चा हो सकती थी. इसको बनाने की जरूरत क्या थी? आगे की बात संसद भवन में हम बोलेंगे. 


दरअसल कांग्रेस, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी, सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सहित 20 विपक्षी दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार की घोषणा की है. 


विपक्षी दलों की क्या मांग है? 
विपक्षी दलों ने मांग की है कि उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बजाए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए. ऐसा ना करना लोकतंत्र पर हमला है.  विपक्षी पार्टियों ने एक संयुक्त बयान में बुधवार (24 मई) को कहा, 'नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है. हमारे इस विश्वास के बावज़ूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है और जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उससे हमारी अस्वीकृति के बाद भी हम अपने मतभेदों को दूर करने और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए तैयार थे.''


सरकार ने क्या कहा?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बहिष्कार पर कहा कि हमने सभी दलों को निमंत्रण भेजा है. यह उनके विवेक पर है कि वो आएंगे कि नहीं. इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए हैं. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी विपक्षी पाटियों को फिर से सोचने को कहा था.


केंद्र सरकार के अध्यादेश पर क्या कहा?
सीएम केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं. इसी को लेकर वो शरग पवार से मिलने पहुंचे थे.  पवार ने अध्यादेश पर कहा कि देश के सामने एक बड़ी समस्या पैदा हुई है. ये मुद्दा केवल दिल्ली का नहीं है. ये लोकतंत्र पर बड़ा हमला हो रहा है. लोगो की चुनी हुई सरकार काम करेगी या सिलेक्टेड लोगो सरकार चलाएंगे. दूसरे राज्यो के नेताओ से भी केजरीवाल को समर्थन देने की मांग करूंगा.


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