मुंबई: बगावत कर चुके अजति पवार पर अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने दवाब बनाया है. सूत्रों के मुताबिक शरद पवार ने अजित पवार को डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा देकर मिलने को कहा है. इससे पहले आज एनसीपी के तीन सीनियर नेता अजित पवार को मनाने पहुंचे थे लेकिन वे नहीं माने. इसके बाद एनसीपी नेता वापस लौट आएं.


इसके साथ ही सूत्रों ने ये भी बताया कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पार्टी के विधायकों से कहा है कि वे दहशत में न आएं. साथ ही शरद पवार ने ये भी कहा कि ऐसे कई हालात उन्होंने संभाले हैं. उधर अजित पवार के साथ आज राजभवन जाने वाले कई विधायक एनसीपी की तरफ से बुलाई गई बैठक में पहुंचे. कहा जा रहा है कि 11 एनसीपी विधायक अजित पवार के समर्थन में थे.


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वहीं महाराष्ट्र के मौजूदा सियासी हालात को लेकर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी अपने विधायकों से बातचीत की है. विधायकों के साथ बैठक में उद्धव ठाकरे ने विधायकों का आश्वस्त किया कि राज्य में उनकी ही सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा. उन्होंने अपने विधायकों से कहा कि वे डरे नहीं. कांग्रेस और एनसीपी हमारे साथ है.


अजित पवार का सियासी सफर


अजित पवार ने 1980 के दशक में शरद पवार के सानिध्य में जमीनी राजनीति के गुर सीखे. उन्होंने 1991 में बारामती विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़कर चुनावी राजनीति में कदम रखा और तब से वह लगातार सात बार इस पारिवारिक सीट से जीत का परचम लहरा चुके हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में वह सबसे अधिक 1.65 लाख वोटों के अंतर से जीतने में कामयाब रहे. इस तरह उन्होंने क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ को एक बार फिर साबित किया. अजित पवार जून 1991 में सुधाकरराव नाइक की सरकार में पहली बार राज्य मंत्री बने. वह अपने तीन दशक के राजनीतिक जीवन में अभी तक कृषि, जल संसाधन, ग्रामीण मृदा संरक्षण, सिंचाई और बिजली और योजना जैसे मंत्रालय संभाल चुके हैं. वह नवंबर 2010 में पहली बार राज्य के उप मुख्यमंत्री बने.


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