Sharad Pawar Book: सीएम रहते कहां हो गई थी उद्धव ठाकरे से चूक? शरद पवार ने किताब में किया खुलासा
NCP Leader Sharad Pawar Resigns: शरद पवार ने अपनी ऑटोबायोग्राफी लोक माझे सांगाती में लिखा कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के बीच महा विकास आघाडी (एमवीए) का गठन केवल सत्ता का खेल नहीं था
Sharad Pawar Autobiography And Uddhav Thackeray : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार ने कहा है कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे शिवसेना के भीतर असंतोष को शांत करने में नाकाम रहे. पवार का कहना है कि उन्होंने बिना संघर्ष किए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
पवार ने अपनी आत्मकथा के संशोधित संस्करण 'लोक माझे सांगाती...' में कहा कि उन्होंने और अन्य लोगों ने भी ठाकरे में राजनीतिक कौशल की कमी महसूस की, जिसकी एक मुख्यमंत्री को जरूरत होती है. इस किताब का विमोचन मंगलवार (2 मई) को किया गया.
'एमवीए का खेल नहीं था'
पवार ने अपनी किताब में लिखा कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के बीच महा विकास आघाडी (एमवीए) का गठन केवल ‘‘सत्ता का खेल’’ नहीं था, बल्कि यह अन्य राजनीतिक दलों के महत्व को किसी भी तरह समाप्त करने की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रवृत्ति का भी कड़ा जवाब था. उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका थी कि एमवीए सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन ‘हमने यह अनुमान नहीं लगाया था कि उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के कारण शिवसेना के भीतर ही तूफान आ जाएगा.
'शिवसेना नेतृत्व असंतोष को शांत करने में विफल'
एनसीपी नेता ने लिखा, ‘‘शिवसेना का नेतृत्व इस असंतोष को शांत करने में विफल रहा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उद्धव ने (जून 2022 में एकनाथ शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायकों के उनके खिलाफ बगावत किए जाने के बाद बिना संघर्ष किए इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण एमवीए सत्ता से बाहर हो गई.’’
उन्होंने कहा कि ठाकरे का स्वास्थ्य उनके लिए एक बाधा बन गया है. एनसीपी नेता ने कहा कि एक मुख्यमंत्री को ‘‘राजनीतिक कौशल’’ की आवश्यकता होती है और उसे राजनीतिक गतिविधियों के बारे में पूरी तरह अवगत रहना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी ने महसूस किया कि इन चीजों की कमी थी.’’ उन्होंने इसके लिए ठाकरे की अनुभवहीनता को जिम्मेदार ठहराया.
पवार ने लिखा कि मध्यम वर्ग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान फेसबुक लाइव के माध्यम से लोगों के साथ ठाकरे की बातचीत को पसंद किया, लेकिन यह यह समझ पाना मुश्किल है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में केवल दो ही बार सरकार के मुख्यालय- मंत्रालय का दौरा क्यों किया ?