राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने देश के कुछ हिस्सों में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव पर चिंता व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि बीजेपी और इसके कुछ संगठनों का एकमात्र उद्देश्य भारत में सांप्रदायिक समस्याएं पैदा करने का है. उन्होंने कहा कि NCP की योजना 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान सीमित संख्या में सीट पर चुनाव लड़ने की है, विशेष रूप से उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र में और वह इस संबंध में राज्य में धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ चर्चा करेगी ताकि 'धर्मनिरपेक्ष वोट' सुनिश्चित हो सकें और ये विभाजित न हों.


सांप्रदायिक समस्याएं के लिए बीजेपी जिम्मेदार: पवार


पवार ने संवाददाताओं से कहा, "आज की स्थिति में, भारत के कुछ हिस्सों में स्थिति काफी गंभीर है. उदाहरण के लिए, हमने रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान कभी भी परेशानी के बारे में नहीं सुना था, लेकिन अब हमें जानकारी मिली है कि कम से कम पांच से छह राज्यों में बहुत कुछ समस्या है. एक तरह का सांप्रदायिक तनाव है." उन्होंने आरोप लगाया कि इस स्थिति का कारण यह है कि बीजेपी और उसके कुछ संगठनों का एकमात्र दृष्टिकोण भारत में सांप्रदायिक समस्याएं पैदा करने का है.


पवार ने कहा, "पिछले दो दिनों में दिल्ली में क्या हुआ, मुझे जो प्रतिक्रिया मिली है, वह यह है कि कुछ वर्गों को निशाना बनाया गया है. दुर्भाग्य से, जब हम दिल्ली के बारे में बात करते हैं, तो वहां की कानून व्यवस्था (दिल्ली के मुख्यमंत्री) अरविंद केजरीवाल के पास नहीं है. यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, और उसे यह देखना होगा कि कोई सांप्रदायिक परेशानी न हो." उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को बहुत प्रभावी होना चाहिए और कड़ी कार्रवाई करनी होगी.


बीजेपी के खिलाफ हो सकते हैं एकजुट


यह रेखांकित करते हुए कि उन्हें हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सांप्रदायिक ताकतों का सामना करने के उद्देश्य से धर्मनिरपेक्ष दलों और गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों की एक बैठक आयोजित करने के सुझाव के साथ एक संदेश मिला, पवार ने कहा कि इस संबंध में चर्चा चल रही है. यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस इस बैठक का हिस्सा होगी, उन्होंने कहा, "जब कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एक साथ लाने की बात होती है, तो हम कांग्रेस को दरकिनार नहीं कर सकते. हमें उन्हें साथ लेकर चलना होगा."


पवार ने यह भी आरोप लगाया कि कई राज्यों में ईडी, सीबीआई और आयकर जैसी कुछ एजेंसियों का इस्तेमाल सत्ताधारी बीजेपी के विरोधी राजनीतिक दलों की स्थिति में एक प्रकार का अंतर पैदा करने के लिए किया गया है. इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर संभावित प्रतिबंध की खबर के बारे में उन्होंने कहा, "यदि कोई संगठन कुछ परेशानी पैदा कर रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर समाज प्रभावित होगा और यदि कोई सरकार इसे रोकने का निर्णय लेती है, तो मैं ना नहीं कहूंगा."


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