मुंबई: NCP अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 2014 में बीजेपी को बाहर से समर्थन देने की उनकी पेशकश एक “राजीतिक चाल” थी, जिसका मकसद शिवसेना को बीजेपी से दूर रखना था. पवार ने स्वीकार किया कि उन्होंने ‘‘बीजेपी और शिवसेना के बीच दूरियां बढ़ाने के लिए” यह कदम उठाया था. लंबे समय से सहयोगी रही बीजेपी और शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर पिछले साल के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद राहें जुदा कर ली थीं.


पवार ने कहा कि पिछले साल के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी नेताओं ने राज्य में देवेंद्र फडणवीस सरकार को समर्थन देने के लिए उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि NCP बीजेपी के साथ नहीं जाएगी और अगर संभव होगा तो वह शिवसेना के साथ सरकार बनाएगी या विपक्ष में बैठेगी.


शिवसेना, NCP और कांग्रेस के साथ मिलकर सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के गठन में मुख्य भूमिका निभाने वाले पवार ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक साक्षात्कार में कहा, “बीजेपी को इस बात में यकीन नहीं है कि गैर बीजेपी दलों को लोकतांत्रित व्यवस्था में काम करने का अधिकार है.”


पहली बार गैर-शिवसेना नेता का साक्षात्कार सामना में हुआ प्रकाशित


तीन हिस्सों वाली साक्षात्कार सीरीज़ का अंतिम हिस्सा मराठी दैनिक समाचार पत्र में सोमवार को प्रकाशित हुआ. बता दें कि पहली बार किसी गैर शिवसेना नेता को प्रकाशन की मैराथन साक्षात्कार सीरीज़ में जगह दी गई है.


पवार ने कहा, “मैंने (2014 के विधानसभा चुनावों के बाद) जान-बूझकर बयान दिया था. क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि शिवसेना और बीजेपी साथ आएं. जब मुझे एहसास हुआ कि चुनाव के बाद गठबंधन की संभावना बन रही तो मैंने बयान दिया जिसमें घोषणा की कि हम बीजेपी सरकार को बाहर से समर्थन देने के लिए तैयार हैं. लेकिन उसने काम नहीं किया. शिवसेना सरकार में शामिल हो गई और गठबंधन सरकार ने कार्यकाल पूरा किया.”


मैंने बीजेपी और शिवसेना के बीच दूरी बढ़ाने के लिए कदम उठाए- पवार


दिग्गज नेता ने कहा कि उनका मानना था कि महाराष्ट्र में बीजेपी को सत्ता में आने देना शिवसेना और अन्य दलों के हित में नहीं था.


उन्होंने कहा, “केंद्र में बीजेपी (2014 में) सत्ता में थी और अगर वह महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ पार्टी बनती है तो यह शिवसेना के लिए नुकसान होगा. बीजेपी नहीं मानती कि किसी गैर बीजेपीई पार्टी को लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का अधिकार है. मुझे पता था कि सभी अन्य दलों को खतरा है. बाहर से समर्थन देने वाला बयान एक राजनीतिक चाल थी.”


पवार ने कहा कि मैं मानता हूं कि मैंने बीजेपी और शिवसेना के बीच दूरी बढ़ाने के लिए कदम उठाए.


पवार ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दावे से इनकार किया कि वह (पवार) पिछले साल सरकार बनाने के लिए बीजेपी के साथ बातचीत कर रहे थे और बाद में “यू-टर्न” ले लिया.


उन्होंने कहा, “कुछ बीजेपी नेताओं ने सरकार बनाने को लेकर मुझसे और मेरे सहयोगियों से बातचीत की थी और कहा था कि वह शिवसेना को शामिल नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि चूंकि मेरे प्रधानमंत्री के साथ अच्छे रिश्ते हैं, इसलिए उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए और मुझे अपनी सहमति देनी चाहिए.”


मैंने पीएम मोदी को बताया कि NCP बीजेपी के साथ नहीं जा सकती- पवार


पवार ने कहा कि इसलिए, मुझे और मेरी पार्टी को लेकर किसी तरह के भ्रम की स्थिति या अवधारणा से बचने के लिए मैंने संसद भवन में प्रधानमंत्री के कक्ष में उनसे मुलाकात की और उन्हें बताया कि NCP बीजेपी के साथ नहीं जा सकती. अगर संभव होगा तो हम शिवसेना के साथ सरकार बनाएंगे या विपक्ष में बैठेंगे.


पवार के महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए वरिष्ठ बीजेपी नेताओं से बातचीत करने संबंधी फडणवीस के बयान को लेकर उन पर निशाना साधते हुए NCP नेता ने कहा, “वह कहां थे? मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनका कोई स्थान है.”


पवार ने कहा कि फडणवीस मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रसिद्ध चेहरा बन गए थे जबकि विपक्ष के लिए वह सिर्फ सक्रिय विधायक थे और ‘‘राज्य में और राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी की निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनका मत नहीं लिया जाता. फडणवीस अब तक इस बात को स्वीकार नहीं कर पाए हैं कि वह फिर से सरकार (पिछले साल) नहीं बना पाए.


पवार ने ऑपरेशन कमल को बताया सत्ता का दुरुपयोग


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सत्ता स्थायी नहीं है. लोगों द्वारा जो भी जिम्मेदारी दी जाए, हमें उसे स्वीकार करना चाहिए. मैंने जब 1980 में मुख्यमंत्री का पद गंवाया था तो मैं विपक्ष का नेता बना. उस भूमिका को मैंने ज्यादा पसंद किया.”


उन्होंने आगे कहा कि आज हम क्या देखते हैं? एक पूर्व मुख्यमंत्री कहता है कि उसके लिए यह स्वीकार कर पाना मुश्किल है कि वह सत्ता में नहीं है. यह उसके लिए अच्छा नहीं है. उन्हें सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए.


‘ऑपरेशन कमल’ के बारे में पवार ने कहा, “ऑपरेशन कमल बीजेपी की तरफ से सत्ता का दुरुपयोग था. यह केंद्र में सत्ता का दुरुपयोग कर निर्वाचित सरकारों को कमजोर और अस्थिर करने के लिए था.”


उद्धव ठाकरे नीत महाराष्ट्र सरकार के बारे में उन्होंने कहा कि शासन में कोई दिक्कत नहीं है, बस सहयोगियों के बीच संवाद का अभाव है.


कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को दिल्ली में आवंटित बंगले को केंद्र की तरफ से खाली करने के लिए कहने पर पवार ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह सभ्य व्यवहार है. सत्ता का उपयोग विनम्रता के साथ करना चाहिए. ऐसी चीजें तब होती हैं, जब सत्ता का गुरूर सिर चढ़ कर बोलता है.”


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