नागपुर: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने बीते दिन कहा कि अगर केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों में जहां भी 'गुंजाइश' हो, वहां संशोधन करने की इच्छा दिखाती है, तो किसानों के साथ वार्ता बहाल हो सकती है. दरअसल, केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं.


महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र को आंदोलनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करनी चाहिए और 'कुछ और लोगों को विश्वास में लेना चाहिए.' राकांपा नेता ने कहा कि अगर किसान अपनी सभी मांगें स्वीकार किए जाने पर अड़े रहे तो कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है.


निकाला जा सकता है रास्ता- शरद पवार


शरद पवार ने कहा, 'इसी दौरान, अगर सरकार इसे प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाती है और जहां गुंजाइश है, वहां कानूनों में संशोधन के लिए तत्परता दिखाती है, तो मुझे लगता है कि बातचीत शुरू की जा सकती है और कोई रास्ता निकाला जा सकता है.'


26 नवंबर को आंदोलन को होगा एक साल पूरा


बताते चले, केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 11 महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं. 26 नवंबर को किसान आंदोलन का एक साल पूरा हो जाएगा. किसानों ने आंदोलन को तेज करने का प्लान तैयार कर लिया है. आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की ओर से एक साल पूरा होने को लेकर खास प्लान बनाने के लिए हरियाणा के जींद में बैठक का आयोजन किया गया. 


किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर आंदोलन चला रहे हैं. जींद में हुई बैठक में साफ कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं होते और सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं देती तब तक किसी भी सूरत में आंदोलन खत्म नहीं होगा.


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