Caste Based Census. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता शरद पवार ने बिहार में जाति आधारित जनगणना कराए जाने को लेकर नीतीश कुमार का समर्थन किया है. शरद पवार ने कहा कि हम भी कई वर्षों से राज्य में जाति आधारित जनगणना की मांग करते आ रहे हैं. एनसीपी नेता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये बातें कही हैं.
बिहार सरकार ने बीते साल 2 जून को राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण को मंजूरी दी थी. शनिवार (7 जनवरी) को यह सर्वेक्षण शुरू हो गया है. दो चरणों में किया जाने इस सर्वे में जाति आधारित संख्या का पता लगाया जाएगा. हालांकि इसे जातिगत जनगणना नहीं कहा गया है लेकिन यह साफ है कि इसमें जाति संबंधी आंकड़े इकठ्ठा किए जाएंगे.
क्या है सर्वे का उद्देश्य?
राज्य के 38 जिलों में होने वाले इस सर्वेक्षण में राज्य की 12.7 करोड़ जनसंख्या कवर होगी. दो चरणों में होने वाला सर्वे 31 मई को पूरा होगा. पहले चरण में घरों की गिनती होगी जिसके बाद दूसरे चरण होगा जिसमें जाति संबंधी आंकड़े जुटाए जाएंगे.
सर्वे शुरू होने के एक दिन पहले शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था इस सर्वे में जाति और समुदाय का विस्तृत रिकॉर्ड तैयार होगा जिससे उनके विकास में मदद मिलेगी.
जाति जनगणना की मांग पुरानी है और इसे पूरे देश में कराए जाने के लिए कहा जाता है. शरद पवार उन बड़े नेताओं में शामिल हैं जो जाति जनगणना के समर्थन में मजबूत आवाज उठाते रहे हैं. हालांकि केंद्र में वर्तमान की एनडीए और इसके पहले रही यूपीए, दोनों इस मांग से सहमत नहीं रही हैं.
जाति जनगणना की मांग होगी तेज
बिहार में जाति आधारित सर्वे शुरू होने के बाद एक बार फिर से इसकी मांग तेज पकड़ सकती है. एनसीपी सुप्रीमो के बयान ने इसका संकेत दे दिया है. शरद पवार लंबे समय से जाति जनगणना की मांग करते रहे हैं. विभिन्न मौकों पर पवार ने कहा है कि सामाजिक समानता को सुनिश्चित करने के लिए इसे किया जाना जरूरी है.
बीते साल मई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए एनसीपी नेता ने कहा था जिसका जो हक है वो उसे मिलना चाहिए. उन्होंने कहा अनुसूचित जाति और जनजाति की तरह ही ओबीसी को भी इस तरह के प्रावधानों की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है कि देश में उनकी संख्या का सही पता चले.
केंद्र और महाराष्ट्र सरकार पर बढ़ेगा दबाव
अब बिहार में जाति आधारित सर्वे का समर्थन करने के बाद केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ेगा. खास तौर पर पवार के गृह राज्य महाराष्ट्र में जहां बीजेपी सरकार का हिस्सा है. महाराष्ट्र में ओबीसी नेता जनसंख्या के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व ने मिलने का दावा करते रहे हैं. उनकी मांग है कि जाति जनगणना के बाद इस मामले की सही तस्वीर सामने आ जाएगी.
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