(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
महाराष्ट्र के मौजूदा घटनाक्रम के 'मास्टरमाइंड' शरद पवार
राज्यपाल को चिट्ठी भेजने के बाद शरद पवार ने एनसीपी के नेताओं के साथ बैठक की है. ऐसा माना जा रहा है शिवसेना के साथ सरकार बनाने में पवार जल्दबाजी नहीं करना चाहते हैं.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद लगातार सवाल यही उठ रहा है कि आखिर इस उठापटक के पीछे का मास्टरमाइंड कौन है. बीच-बीच में मास्टरमाइंड के तौर पर शरद पवार का नाम सामने आता रहा है क्योंकि कांग्रेस ने शिवसेना के साथ गठबंधन के लिए अंतिम फैसला शरद पवार पर छोड़ दिया है.
इन सबके बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल ने जब एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया तो तय वक्त से पहले ही शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने राज्यपाल से कह दिया कि उनके पास संख्या बल नहीं है और उनको और वक्त की जरूरत है. एनसीपी के जवाब के बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी जिसको मंजूरी भी मिल गई. लेकिन सवाल ये है कि आखिर शरद पवार शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर कोई फैसला क्यों नहीं ले रहे ? इन सबके बीच एनसीपी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्यपाल को चिट्ठी भेजने के बाद शरद पवार ने एनसीपी के नेताओं के साथ बैठक की.
एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक शरद पवार ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बैठक कर कहा कि जब तक हमको इस बात का आश्वासन ही मिल जाता कि शिवसेना के साथ मिलकर हम राज्य में एक स्थिर सरकार दे सकते हैं तब तक सरकार बनाने को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं करेंगे. बैठक के दौरान पवार ने साफ तौर पर कहा कि सरकार बनाने को लेकर फैसला तभी लिया जाएगा जब एक बार यह तय हो जाए कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम क्या होगा, किस पार्टी को सरकार में कितना प्रतिनिधित्व मिलेगा और किस पार्टी को क्या पोर्टफोलियो होंगे. क्योंकि बाद में किसी भी मनमुटाव से अच्छा है कि पहले ही इन सारी बातों पर स्पष्टता हो और इसी वजह से जब तक यह स्पष्ट नहीं होता तब तक शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर जल्दबाजी में कोई ऐलान नहीं किया जा सकता.
यानी एनसीपी के सूत्रों की मानें तो पवार शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं करना चाहते क्योंकि पवार को पता है कि शिवसेना की विचारधारा कांग्रेस और एनसीपी से एकदम अलग है और ऐसे में इस बात की आशंका हमेशा बनी रहेगी की सरकार का भविष्य क्या होगा. महाराष्ट्र में यह गठबंधन अगर होता भी है तो इस गठबंधन से प्रदेश में सरकार कितनी स्थायी रह पाएगी. इसी वजह से जब तक इस बात को लेकर पूरी तरह से शरद पवार संतुष्ट नहीं हो जाते कि शिवसेना के साथ कांग्रेस एनसीपी के गठबंधन वाली सरकार चल पाएगी तब तक गठबंधन के लिए हामी नहीं भरी जाएगी.