मुंबई: कोरोना काल में महाराष्ट्र में मंदिर ना खोलने पर राजनीति तेज हो गयी है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी है. चिट्ठी में पवार ने राज्यपाल की भाषा पर सवाल उठाए हैं.


पवार ने पीएम को लिखी चिट्ठी में कहा है कि राज्यपाल के पत्र में असंयमित भाषा का इस्तेमाल किया गया है. पवार ने ट्विटर पर अपनी चिट्ठी शेयर की है. पवार ने लिखा कि वह राज्यपाल द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा पर हैरान और आश्चर्यचकित हैं.


चिट्ठी में शरद पवार ने क्या लिखा?
प्रधानमंत्री मोदी को भेजे खत में एनसीपी प्रमुख ने लिखा, '''मैं यहां बताना चाहता हूं कि माननीय राज्यपाल के किसी भी मुद्दे पर स्वतंत्र विचार हो सकते हैं. मैं मुख्यमंत्री को उनके (राज्यपाल) विचारों से अवगत कराने के लिए राज्यपाल की सराहना करता हूं. हालांकि, मैं राज्यपाल द्वारा जारी पत्र और पत्र में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है, उसे देखकर हैरान हूं.''



एनसीपी प्रमुख ने आगे लिखा, ''मुझे यकीन है कि आपने भी उस असंयमित भाषा पर ध्यान दिया होगा जिसका उपयोग किया गया है. सेक्युलर शब्द संविधान की प्रस्तावना में है, राज्य के सीएम से भी अपेक्षा की जाती है कि वह इसकी मर्यादा का ख्याल रखे और इसमें कोई बुराई नहीं है. मगर राज्यपाल ने जैसे इसका इस्तेमाल किया, ऐसा लगता है कि वह राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बल्कि किसी राजनीतिक दल के नेता को संबोधित कर रहे हैं."


क्या है पूरा मामला?
बीजेपी ने मंगलवार से राज्यभर में मंदिर खोलने की मांग को लेकर उद्धव सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया. मुंबई के मशहूर सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मंदिर खोले जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया.


मंदिर के बहाने एक बार फिर उद्धव सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी आमने-सामने आ गए. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव सरकार पर निशाना साधते हुए चिट्ठी लिखी. वहीं विचारधारा को लेकर किए इस तीखे वार पर उद्धव ठाकरे भी चुप नहीं रह सके.. सीएम उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल को जवाब देते हुए खत लिख डाला.


पूरे देश में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में ही हैं. इसी आधार पर उद्धव सरकार ने अभी तक धार्मिक स्थलों को बंद ही रखने का फैसला किया है. जबकि बीजेपी नवरात्र से पहले इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेर रही है.