Sharad Yadav Death: जिस पार्टी का किया सबसे ज्यादा विरोध, आखिरी सांस उसी पार्टी के सदस्य के तौर पर ली
नरेंद्र मोदी और बीजेपी को मात देने के लिए लालू यादव के साथ चली आ रही 25 साल पुरानी सियासी दुश्मनी को भुलाते हुए शरद यादव ने अपने लोकतांत्रिक जनता दल का विलय 2022 में राष्ट्रीय जनता दल में कर दिया था.
Sharad Yadav Passes away: शरद यादव भले ही अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनका सियासी सफर हमेशा जिंदा रहेगा. उन्होंने राजनीति में कभी हार नहीं मानी. वह तब भी अपने विरोधियों से खुलकर मोर्चा लेते रहे, जब वह अपनी ही पार्टी में अलग-थलग हो चुके थे. इसके लिए अपने आखिरी दिनों में वह उस पार्टी के साथ भी चले गए, जिसकी पूरे राजनीतिक सफर में आलोचना करते रहे.
शरद यादव ने इस स्थिति में भी हार नहीं मानी. जिस विचारधारा की वजह से उनकी नीतीश कुमार से दूरी बढ़ी, जिसकी वजह से उन्हें अपनी ही गठित पार्टी से बाहर होना पड़ा, उस दल से टकराने और मात देने के लिए उन्होंने अपनी 25 साल पुरानी सियासी दुश्मनी को भुलाकर लालू यादव से हाथ मिला लिया था.
मोदी और बीजेपी को रोकने के लिए किया समझौता
यह साल था 2022 का और महीना था मार्च. शरद यादव ने विपक्ष को मजबूत करने और पीएम नरेंद्र मोदी व बीजेपी को मात देने के लिए लालू यादव के साथ चली आ रही 25 साल पुरानी सियासी दुश्मनी को भुलाते हुए अपने लोकतांत्रिक जनता दल का विलय राष्ट्रीय जनता दल में कर दिया था. इस पार्टी की स्थापना शरद यादव ने नीतीश कुमार से अलग होने के बाद साल 2018 में की थी. अपनी पार्टी का आरजेडी में विलय करते हुए शरद यादव ने कहा था कि बीजेपी को हराने के लिए जरूरी है कि भारत का पूरा विपक्ष एकजुट हो जाए. ऐसे में उनकी पार्टी का यह विलय विपक्षी एकजुटता की तरफ पहला कदम है.
यहां से शुरू हुई थी लालू और शरद यादव की दुश्मनी
1997 तक शरद यादव और लालू यादव जनता दल में ही हुआ करते थे. 1997 में शरद यादव जनता दल के कार्यकारी अध्यक्ष थे. जुलाई 1997 में जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर लालू यादव और शरद यादव आमने-सामने आ गए थे. दरअसल इस चुनाव के लिए लालू यादव ने अपने सहयोगी रघुवंश प्रसाद सिंह को निर्वाचन अधिकारी बनाया था.
वहीं, शरद यादव इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए और रघुवंश प्रसाद सिंह को हटाकर मधु दंडवते को निर्वाचन अधिकारी बनवाया. लालू यादव इस बात को जानते थे कि वह अगर शरद यादव के खिलाफ लड़ेंगे तो हार जाएंगे. ऐसे में उन्होंने जनता दल से अलग होकर अलग पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना की. यहां से शुरू हुई यह सियासी दुश्मनी 2022 तक जारी रही.
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