Sharad Yadav Politics: जनता दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और समाजवादी राजनीति के बड़े नेता शरद यादव का गुरुवार (12 जनवरी) को निधन हो गया. शरद यादव ने अपना सियासी सफर मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के साथ किया था. इसके बाद वो उत्तर प्रदेश की बदायूं सीट से लोकसभा पहुंचे और फिर चार बार बिहार के मधेपुरा से लोकसभा सांसद चुने गए थे. शरद यादव ने बिहार को ही अपनी सियासी कर्मभूमि बना लिया था. उनकी सियासी पकड़ ऐसी थी कि वो तीन बार राज्यसभा सांसद भी रहे. 


शरद यादव को एनडीए का संयोजक बनाया गया था और वो केंद्र सरकार में कई विभागों के मंत्री भी रहे. शरद यादव भारत के उन राजनेताओं में शामिल रहे हैं जो तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार से लोकसभा सांसद चुने गए थे. आसान शब्दों में कहें, तो मध्य प्रदेश में जन्मे शरद यादव की सियासी जमीन बिहार में खूब उपजाऊ रही और राष्ट्रीय राजनीति में उन्हें एक बड़े नेता के तौर पर स्थापित कर दिया. आइए जानते हैं ऐसे ही पांच नेताओं के बारे में जिन्होंने दूसरे राज्य से राजनीति की और बड़ा नाम कमाया.


अटल बिहारी वाजपेयी


पहला नाम है अटल बिहारी वाजपेयी. भारतीय राजनीति में 6 दशक तक अटल बिहारी वाजपेयी की आवाज गूंजती रही. अपने करिश्माई व्यक्तित्व और ओजस्वी भाषणों के चलते अटल बिहारी वाजपेयी को आज विपक्षी दल भी पूरे सम्मान के साथ याद करते हैं. उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. 1957 में पहली बार जनसंघ के नेता के तौर पर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से सांसद रहे. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के इकलौते ऐसे नेता थे, जो चार राज्यों के छह लोकसभा क्षेत्रों से संसद पहुंचे थे.


अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव जीता था. भारत रत्न से सम्मानित अटल जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे. अटलजी ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया और पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बहाल करने वाले नेता के तौर पर ख्याति पाई.


अरविंद केजरीवाल


आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा में भिवानी जिले के सिवानी में हुआ था. 2006 में उन्होंने आयकर विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर बनने के बाद इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने आरटीआई के जरिये कई घोटालों का खुलासा किया. 2011 में जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर किए गए अन्ना हजारे के आंदोलन में अरविंद केजरीवाल पहली बार लोगों के सामने खुलकर नजर आए थे.


अगले साल ही केजरीवाल ने अन्ना आंदोलन से जुड़े अपने कुछ सहयोगियों के साथ आम आदमी पार्टी बनाई और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस को हत्थे से उखाड़ फेंका है. केजरीवाल लगातार तीसरी बार दिल्ली के सीएम बने हैं और बीते साल पंजाब विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए वहां भी आम आदमी पार्टी की सरकार बना ली.


मायावती


उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती अपने समर्थकों के बीच 'बहन जी' और सियासी गलियारों में बसपा सुप्रीमो के नाम से मशहूर हैं. दिल्ली के स्लम एरिया में पली-बढ़ी मायावती एक आईएएस अधिकारी बनकर दलितों की सेवा करना चाहती थीं. इस बीच दलित नेता कांशीराम ने एक दिन उनके दरवाजे पर दस्तक दी, वो मायावती को एक भाषण के लिए न्योता देने पहुंचे थे. इसके बाद मायावती की किस्मत बदली और वो कांशीराम के साथ बसपा को मजबूत करने के मिशन में लग गईं.


अपने शुरुआती राजनीतिक दिनों में मायावती उत्तर प्रदेश के गांवों में साइकिल से बसपा के प्रचार के लिए जाती थीं. बाद में वो इसी उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री बनीं. मायावती की सियासी राजनीति का आधार भारत की जातीय सिस्टम था. बसपा जातिभेद खत्म करने और एक समान समाज बनाने की पक्षधर पार्टी है. दलितों के बीच मायावती आज भी एक बड़ा नाम हैं.  


सचिन पायलट


राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सूबे की राजनीति में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. 1977 में सचिन पायलट का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ था. उनके पिता राजेश पायलट एयरफोर्स में थे और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक थे. पिता की मौत के बाद वो 2003 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और अगले ही साल सचिन पायलट राजस्थान के दौसा से सांसद चुने गए. 2009 में पायलट को मनमोहन सिंह की सरकार में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का मंत्री बनाया गया था.


2014 में सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. 2018 में उनके प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान ही कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन कर सरकार बनाई थी. जिसमें सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया था. बताया जाता है कि कांग्रेस आलाकमान के साथ उनके बहुत करीबी संबंध हैं, खासतौर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ. 


राहुल गांधी


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक का सफर पूरा करने के अंतिम चरण में है. देश के सबसे पुराने राजनीतिक परिवार से आने वाले राहुल गांधी फिलहाल केरल के वायनाड से सांसद हैं. दिल्ली में जन्मे राहुल गांधी पहली बार उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से सांसद चुनकर आए थे. अमेठी उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पारंपरिक सीट थी. 2009 में केंद्र सरकार में कांग्रेस की बड़ी राजनीतिक जीत का श्रेय राहुल गांधी को ही दिया जाता है.


2019 लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट पर राहुल गांधी को बीजेपी नेता स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, राहुल वायनाड से सांसद चुन लिए गए थे. कांग्रेस इस समय अपने सबसे बुरे सियासी दौर से गुजर रही है और राहुल गांधी अपनी पार्टी को इससे निकालने की हरसंभव कोशिश में लगे हुए हैं. कांग्रेस के बड़े नेता के तौर पर राहुल गांधी का प्रभाव हर राज्य में है.


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