नई दिल्ली: जेडीयू के बागी नेता शरद यादव कल यानि गुरुवार को अपनी ताकत के प्रदर्शन के लिए सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं. इस सम्मेलन में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी समेत कई विपक्षी नेताओं के पहुंचने की उम्मीद है. शरद यादव ने कहा कि देश की साझा विरासत को बचाने के उद्देश्य से इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है.


नीतीश कुमार के महागठबंधन तोड़ने और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने पर शरद यादव ने नाराजगी जताई थी. बीजेपी के विरोधी दल कांग्रेस, लेफ्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, तृणमूल कांग्रेस और दूसरे दलों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है. यादव के इस कार्यक्रम को जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ गठबंधन करने के फैसले के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है.


यह पूछे जाने पर कि इस बैठक में कौन-कौन शामिल होगा, शरद यादव ने कहा, ‘‘विपक्ष से बमुश्किल ऐसा कोई होगा जो इसमें नहीं आएगा.’’ साझा विरासत के संविधान की आत्मा होने की बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी बैठकों का आयोजन देश भर में किया जाएगा.


बिहार के मुख्यमंत्री के बीजेपी के साथ गठजोड़ किए जाने के फैसले पर अपनी असहमति से जुड़े सवालों पर जवाब देने से शरद यादव इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि कल के आयोजन के लिए फैसला हफ्तों पहले लिया गया.


शरद यादव ने कहा, ‘‘‘साझा विरासत बचाओ सम्मेलन’ किसी के खिलाफ नहीं बल्कि देशहित में है. यह देश के 125 करोड़ लोगों के हित में है.’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धर्म के नाम पर हिंसा के खिलाफ बयान का समर्थन करते हुए यादव ने कहा कि यह जमीन पर नजर नहीं आता. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को अपनी पार्टी की सरकारों को यह बताने की जरूरत है कि वह उनके आदेशों का पालन करें.


शरद यादव के करीबी सूत्रों के मुताबिक इस कार्यक्रम के लिए कांग्रेस से सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद के अलावा कई नेताओं को भी निमंत्रण भेजा गया है. इसके अलावा सीपीएम के सीताराम येचुरी, आरजेडी के लालू प्रसाद यादव, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव समेत दूसरे लोगों को सम्मेलन के लिए न्योता भेजा गया है.


जदयू ने शरद यादव से इस सम्मेलन का आयोजन नहीं करने को कहा है.