कब बनेगा शारदा कॉरिडोर? एक साल पहले PoK सरकार ने दी थी मंजूरी, जानें क्या है पौराणिक कथा और हिंदुओं के लिए इसका महत्व
पीओके में स्थित शारदा पीठ में माता शारदा अपनी तीन शक्तियों का स्वरूप हैं. पहला है शारदा, जो शिक्षा की देवी हैं. दूसरी ज्ञान की देवी सरस्वती और तीसरी हैं वाग्देवी, जो वाणी की देवी हैं.
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित शारदा पीठ हिंदुओं का 5 हजार साल पुराना प्राचीन धार्मिक स्थल है. इसे लेकर कश्मीरी पंडितों के दिलों का दर्द आज भी छलकता है. लोग हर दिन कामना करते हैं कि वह शारदा पीठ दर्शन करने जा सकें. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल अप्रैल में संसद में कहा था कि जल्द ही कॉरिडोर बनाया जाएगा और श्रद्धालू दर्शन के लिए जा सकेंहे. यह सुनकर कश्मीरी पंडितों की खुशी का ठिकाना नहीं है. इसके कुछ घंटों बाद भी पीओके की विधानसभा में भी शारदा कॉरिडोर को लेकर हरी झंडी मिल गई और सभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर दिया गया. इस बात को एक साल बीत गया है और लोगों के मन में सवाल है कि कब जम्मू-कश्मीर और पीओके के बीच शारदा पीठ कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा.
'नमस्ते शारदे देवी कश्मीरपुरावासिनि, त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्यादानं च देहि मे', कश्मीरी पंडित हर दिन इस मंत्र का जाप करते हैं और ज्ञान की देवी सरस्वती से ज्ञान का आशीर्वाद मांगते हैं. मां शारदा को सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है. शारदा देवी पीठ पीओके में नीलम घाटी में शारदी में किशनगंगा नदी के तट पर स्थित है. 1947 से इस क्षेत्र पर पाकिस्तान का कब्जा है. शारदा पीठ को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं. यह 18 महाशक्तिपीठों में से एक है. माता सती की देह को लेकर जब भगवान शिव दुख में डूबे पृथ्वी लोक में घूम रहे थे तब अलग-अलग जगह सती के शरीर के अंग गिरे, उन जगहों पर आज शक्तिपीठ हैं. शारदा पीठ भी उन्हीं में से एक है. माता सती का दाहिना हाथ यहां गिरा था.
शारदा पीठ में पूजी जाने वाली शारदा देवी तीन शक्तियों का स्वरूप है. पहली शारदा शिक्षा की देवी, दूसरी सरस्वती ज्ञान की देवी और वाग्देवी वाणी की देवी है. शारदा देवी पीठ मुजफ्फराबाद से 170 किलोमीटर और कुपवाड़ा से 30 किमी दूर है. बताया जाता है कि यह मंदिर 5 हजार साल पुराना है और बाद में महाराजा अशोक ने 237 ईसा पूर्व में मंदिर को बनवाया था. कभी यह शिक्षा का केंद्र हुआ करता था, लेकिन आज यह जर्जर हालत में है. पिछले साल अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास बने माता शारदा देवी मंदिर का उद्घाटन किया था. उन्होंने कहा था कि सरकार पीओके में स्थित शारदा पीठ मंदिर के लिए कॉरिडोर खोलने की कोशिश करेगी और जल्द ही श्रद्धालू दर्शन के लिए वहां जा सकेंगे. करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर इसका निर्माण किए जाने की बात अमित शाह ने कही थी.
क्या है शारदा पीठ की कहानी?
घोशा (अब घोशी) नाम के एक गांव में शांडियाल नाम से एक ऋषि थे. माता शारदा के दर्शन पाने के लिए शांडियाल ने कड़ी तपस्या की, जिसके बाद मां शारदा प्रकट हुईं और शांडियाल से कहा कि वह शारदा के जंगलों में उन्हें अपने तीनों रूप में दर्शन देंगी. इसके बाद, ऋषि शांडियाल किशनगंगा की तरफ चले गए और स्नान किया तो उनका आधा शरीर सुनहरा हो गया. माता शारदा ने उन्हें अपने त्रिगुण रूप शारदा, सरस्वती और वग्देवी के रूप में प्रकट किया. यहां से वह उत्तर की तरफ पहाड़ों पर चले गए. तब मां शारदा ने उन्हें रंगवति के जंगल में दर्शन दिए. मां शारदा उन्हें यहां नृत्य करती दिखी थीं.
प्रसिद्ध मंदिर होने के अलावा, यह शारदा पीठ हिंदू शिक्षा का महान केंद्र भी था और दूर-दूर से विद्वान शिक्षा करने के लिए आते थे. 15वीं सदी की शुरुआत में दोनाराजा ने कहा कि आदि शंकराचार्य और बाद में कश्मीर के शासक सुल्तान जैनुल आबिदीन ने शारदा पीठ का दौरा किया था. शारदी के रहने वाले लोगों के मन में भी पीठ का लेकर काफी श्रद्धा है. हालांकि, यहां रहने वाली ज्यादातर आबादी मुस्लिम है, लेकिन ये पीठ को लेकर काफी सम्मान रखते हैं. आतंकियों ने कई बार पीठ को अपना अड्डा बनाने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय लोगों की वजह से वह इसमें कामयब नहीं हुए. आतंकियों की इस कोशिश के चलते पीठ का काफी नुकसान भी पहुंचा है.
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