नई दिल्लीः पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि उनके पिता ने हर दया याचिका के मामले का ‘गहनतापूर्वक विचार करने’ के बाद निपटारा किया. उन्होंने अपने पिता की पुस्तक ‘द प्रेसिडेंसियल इयर्स’ के लोकार्पण के दौरान कहा कि दया याचिकाओं में राष्ट्रपति आखिरी उम्मीद होते हैं, इसलिए उसमें ‘‘मानवीय दृष्टिकोण’’ होता है.
शर्मिष्ठा ने कहा, ‘‘इसलिए वहां बैठा व्यक्ति कैसा महसूस करता है, जब वह जानता है कि एक हस्ताक्षर से वह (किसी की तकदीर) तय करने जा रहा है? इसलिए निश्चित ही मैंने इस पीड़ा को महसूस किया, और जब मैं पूछती थी तब वह कहते थे, ‘मैं रात में सो नहीं सकता. एक बार जब मैं दया याचिका खारिज कर देता हूं ... (तब) मैं रात को सो नहीं सकता’’
अजमल कसाब और अफजल गुरू की याचिका की थी खारिज
शर्मिष्ठा ने कहा कि वह हर मामले में बहुत ही बारीकी से चीजों को देखते थे और बहुत गहनतापूर्वक हर मामले को निपटाते थे .2012-17 तक राष्ट्रपति रहे मुखर्जी ने 26/11 मुम्बई हमले के गुनहगार आतंकवादी अजमल कसाब और संसद हमले के दोषी अफजल गुरू की दया याचिकाओं का निपटान किया था. शर्मिष्ठा ने पुस्तक से पिता को उद्धृत किया कि सजा उन्होंने नहीं दी बल्कि न्यायतंत्र ने दी।
अभिजीत मुखर्जी ने किताब के कंटेट की समीक्षा की मांग की थी
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब- 'द प्रसिडेंशियल इयर्स' को लेकर उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने किताब छपने का विरोध किया था और प्रकाशक को पत्र लिखा भी लिखा था. वहीं बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने इस किताब के प्रकाशन को रोकने पर अभिजीत के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी. अभिजीत मुखर्जी ने इस किताब के कंटेंट की समीक्षा मांग करते हुए इसके प्रकाशन को उनकी लिखित तौर पर सहमति नहीं देने तक रोकने की मांग की थी.
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