Shashi Tharoor On S Jaishankar: कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर विदेश मंत्री एस जयशंकर को दी गई अपनी एक सलाह पर घिरने के बाद सफाई पेश की है. शनिवार, 1 जुलाई को कांग्रेस सांसद ने कहा लंदन में खालिस्तान समर्थकों के भारतीय ध्वज उतारे जाने पर जयशंकर की प्रतिक्रिया से उनका कोई मतभेद नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि जयशंकर उनके दोस्त के साथ ही काबिल विदेश मंत्री हैं. कांग्रेस नेता ने अपनी सलाह का मतलब भी समझाया कि वो किस बारे में थी.


दरअसल, लंदन स्थित भारतीय दूतावास से जब खालिस्तान समर्थकों ने तिरंगा झंडा उतारने की कोशिश की थी तो अक्सर कूल रहने वाले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. जयशंकर ने इसके अलावा भी कई मुद्दों पर पश्चिमी देशों को कड़ी प्रतिक्रिया दे चुके हैं. इसे लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एस जयशंकर को सलाह दी थी, जिसका मतलब यह निकाला गया कि वे विदेश मंत्री को खालिस्तान के मुद्दे पर शांत रहने की सलाह दे रहे हैं. शशि थरूर ने अब इसी को लेकर सफाई पेश की है.


थरूर ने बताया किस बारे में थी सलाह


थरूर ने ट्वीट कर लिखा, मेरे दोस्तों ने मुझे कुछ ट्रोल्स भेजे हैं, जिसमें कहा गया है कि मैंने विदेश मंत्री को खालिस्तानियों पर दी गई टिप्पणी के लिए शांत रहने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं है. थरूर ने लिखा, जब भारतीय ध्वज उतारे जाने घटी तो मैंने विदेश मंत्रालय से पहले ही नाराजगी व्यक्त की. आक्रोश प्रकट करना, वास्तव में सबसे उपयुक्त प्रतिक्रिया थी. 


उन्होंने आगे लिखा, जयशंकर को संयम बरतने की मेरी सलाह उनके बेंगलुरु स्थिति बीजेपी युवा मोर्चा के लिए की गई उनकी टिप्पणियों के लिए थी, जिसे विदेशी मीडिया ने पकड़ लिया था और गलत तरीके से दिखाया था.


ये हमारा स्टाइल नहीं- थरूर


थरूर ने आगे लिखा, बिना उकसावे के दूसरे देशों की आंख में उंगली डालना हमारा स्टाइल नहीं है. झंडा फहराने की घटना एक उकसावे की घटना थी और भारत की प्रतिक्रिया उचित थी. इस पर विदेश मंत्री से मेरा कोई मतभेद नहीं है. मैं उन्हें एक मित्र और एक कुशल व योग्य विदेश मंत्री मानता हूं.


जयशंकर ने क्या कहा था ?


विदेश मंत्री एस जयशंकर बीते अप्रैल की शुरुआत में बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस दौरान उनसे पश्चिमी देशों की टिप्पणी को लेकर सवाल किया गया था, जिस पर उन्होंने कहा था कि पश्चिम को दूसरे के मामले में टिप्पणी करने की बुरी आदत है. वे सोचते हैं कि उन्हें भगवान का दिया किसी तरह का अधिकार है. लेकिन उन्हें सीखना होगा कि अगर वे ऐसा करते रहे तो दूसरे भी करने लगेंगे, जो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा और ऐसा हो रहा है.


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