नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में केरल और पंजाब विधानसभा प्रस्ताव पारित कर चुकी है. इस बीच कांग्रेस के सीनियर नेता शशि थरूर ने कहा है कि सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना एक राजनीति कदम है क्योंकि नागरिकता देने में राज्यों की बमुश्किल कोई भूमिका है.
बता दें कि शशि थरूर का बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस शासित राज्य पंजाब ने विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है. इसके अलावा कांग्रेस शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ने भी ऐसा कदम उठाने की बात की है. इसके अलावा केरल विधानसभा से ये प्रस्ताव पहले ही पारित किया जा चुका है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी प्रस्ताव पारित करने का एलान कर चुकी हैं.
गौरलतब है कि सीएए को लेकर समर्थन और विरोध दोनों जारी है. बीजेपी इसके समर्थन में देशभर में रैलियां कर रही हैं. वहीं विपक्षी पार्टियां इसका विरोध रहे हैं. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सीएए को लेकर दायर की गई 144 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने फिलहाल इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने सरकार को सीएए के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर जवाब देने के लिए चार हफ्तों का समय दिया है. ज्यादातर याचिकाएं सीएए के खिलाफ दायर की गई थीं. इसमें ये कहा गया था कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान के खिलाफ है.
क्या है नागरिकता कानून?
नागरिकता कानून में तीन देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए छह अल्पसंख्यकों हिंदू, जैन, इसाई, पारसी, सिख और बौद्ध को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद से पारित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को 12 दिसंबर को अपनी संस्तुति प्रदान की थी. राष्ट्रपति की संस्तुति के साथ ही यह कानून बन गया था और यह 10 जनवरी को जारी अधिसूचना के बाद देश में लागू हो गया है.