बीजेपी में जाने की अटकलें, कितनी सीटों पर असर रखते हैं शशि थरूर? अगर छोड़ा 'हाथ' तो कितनी कमजोर होगी कांग्रेस
शशि थरूर ने हाल ही में पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे की तारीफ की थी. साथ ही केरल की लेफ्ट सरकार की पॉलिसी को भी सराहा था, जिसके बाद उन पर पार्टी लाइन से अलग चलने का आरोप लग रहा है.

Shashi Tharoor: तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर इन दिनों कांग्रेस में बगावती तेवर अपनाए हुए हैं. थरूर ने पहले पीएम मोदी के अमेरिका दौरे की तारीफ की और फिर केरल की पिनाराई विजयन सरकार की तारीफ करते हुए एक लेख लिखा, जिसने पार्टी के अंदर विवाद खड़ा कर दिया. इतना ही नहीं उन्होंने राहुल गांधी से भी मुलाकात की और खुद को नजरअंदाज किए जाने की शिकायत की. कांग्रेस नेताओं ने थरूर पर पार्टी लाइन से हटकर बयान देने का आरोप लगाया तो उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन अगर पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है तो मेरे पास दूसरे ऑप्शन हैं. उनके इस बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर पार्टी आलाकमान से बात नहीं बनी तो शशि थरूर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
शशि थरूर ने जबसे राजनीति शुरू की है, वो लगातार चुनाव जीत रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि केरल के शहरी क्षेत्रों में उनका जनाधार है. केरल की करीब 48 फीसदी जनसंख्या शहरी है. इन इलाकों में शशि थरूर की पैठ मानी जाती है. इसका मतलब है कि 140 में से करीब 50-60 सीटों पर शशि थरूर अपना प्रभाव रखते हैं. उन्हें उदारवादी से लेकर कम्युनिस्ट और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग भी पसंद करते हैं. ऐसे में अगर शशि थरूर कांग्रेस से अलग हुए तो सत्ता में आने का सपना पाले हुए पार्टी को झटका लग सकता है और इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है क्योंकि बीजेपी साउथ इंडिया में डॉमनेंट लीडर की तलाश में है.
कांग्रेस में क्यों बैचेन हैं शशि थरूर?
दरअसल अगले साल केरल में विधानसभा चुनाव हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि शशि थरूर चाहते हैं कि उन्हें वहां मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया जाए. जब उन्होंने मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था और उनकी हार भी हो गई थी, उसके बावजूद वो चाहते थे कि उन्हें खरगे की टीम में शामिल किया जाए. पिछले दिनों कांग्रेस नेतृत्व ने अपने संगठन में कई अहम बदलाव किए हैं, लेकिन इसमें शशि थरूर को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई. केंद्रीय मंत्री रह चुके शशि थरूर के पास इन दिनों पार्टी में कोई पद नहीं है. ऐसा माना जा रहा है कि शशि थरूर इसीलिए नाराज हैं.
शशि थरूर पर क्यों नहीं 'गांधी फैमिली' को भरोसा?
गांधी परिवार शशि थरूर पर भरोसा नहीं कर पाता है. जब कांग्रेस पार्टी अपना अध्यक्ष ढूंढ़ रही थी और गांधी फैमिली ने मल्लिकार्जुन खरगे को आगे किया तो उन्होंने खरगे के खिलाफ ही पर्चा भर दिया. शशि थरूर अखिल भारतीय स्तर पर कांग्रेस के 1072 वोट हासिल करने में कामयाब भी रहे, जबकि खरगे 8797 वोट लेकर चुनाव जीते थे. इसके अलावा थरूर G-23 ग्रुप में भी शामिल रह चुके हैं, जिन्होंने पार्टी में सुधारों की मांग करते हुए सोनिया गांधी को लेटर लिखा था. उन्होंने पार्टी में सत्ता के विकेंद्रीकरण और पार्टी के जमीनी स्तर के पदाधिकारियों को सशक्त बनाने की भी वकालत की. तिरुवनंतपुरम से लगातार चार बार चुनाव जीतने वाले शशि थरूर ने पीएम मोदी और केरल की लेफ्ट सरकार की तारीफ कर एक बार फिर कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती दी है.
कई बार मोदी सरकार की कर चुके तारीफ
शशि थरूर कई बार बीजेपी सरकार की तारीफ भी कर चुके हैं. हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी की मीटिंग पर तो बवाल मचा ही है. इससे पहले थरूर ने केरल के लिए वंदे भारत के लिए मोदी सरकार को धन्यवाद दिया था. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भी पीएम मोदी की तारीफ की थी. जी-20 के सफल आयोजन के लिए मोदी सरकार की तारीफ की. एक बार तो विदेश नीति की तारीफ करते हुए शशि थरूर ने कहा था कि मुस्लिम देशों के साथ जितने अच्छे रिश्ते अभी हैं, उतने पहले कभी नहीं रहे. ऐसे में अगर वो बीजेपी में आते हैं तो उन्हें पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.
कैसा रहा शशि थरूर का करियर?
शशि थरूर साल 2009 से लगातार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंच रहे हैं. मनमोहन सरकार में वह विदेश मंत्री भी बने, लेकिन विपक्ष में रहते हुए उन्हें कोई बड़ा पद नहीं मिला. ऐसा भी माना जाता है कि जब कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया तो शशि थरूर चाहते थे कि पार्टी उन्हें ये पद सौंपे क्योंकि वो काफी जानकार और मुद्दों की गहरी समझ रखते हैं. शशि थरूर तिरुवनंतपुरम से लगातार चौथी बार चुनाव जीतकर सांसद बने हैं. इससे पहले उन्हें प्रोफेशनल कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया जा चुका है.
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