Congress President Election: थरूर बने कांग्रेस अध्यक्ष तो गांधी परिवार के सामने खड़ी होंगी ये चुनौतियां, खड़गे जीते तो क्या होगा?
Tharoor Vs Kharge: इंटेलेक्चुअल छवि वाले शशि थरूर अगर कांग्रेस अध्यक्ष बने तो क्या होगा और अगर गाढ़ा सियासी अनुभव रखने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे जीते तो पार्टी में क्या बदल जाएगा, आइए जानते हैं.

Shashi Tharoor Vs Mallikarjun Kharge: कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव (Congress President Election) में मुकाबला तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) और वरिष्ठ कांग्रेसी मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के बीच है. शुक्रवार (30 सितंबर) को नामांकन दाखिल करने के बाद खड़गे ने अपनी जीत की उम्मीद जताई थी. वहीं, शशि थरूर ने शनिवार (1 अक्टूबर) को कहा, ''खड़गे सिस्टम के नेता हैं और साधारण कार्यकर्ता मेरे साथ हैं.''
थरूर ने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि अगर वे बदलाव चाहते हैं तो उन्हें चुनें और अगर चाहते हैं कि सब ठीक ठाक चलता रहे तो फिर खड़गे को वोट करें. थरूर लगातार खुद को परिवर्तन लाने वाले नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं.
राजस्थान के घटनाक्रम के बाद जिस तरह से सीएम अशोक गहलोत शीर्ष पद के चुनाव की रेस से अलग हुए और खड़गे के नामांकन में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का हुजूम उमड़ा, उससे लगता है कि गांधी परिवार का झुकाव उनकी तरफ हैं. एक तरफ इंटेलेक्चुअल छवि वाले थरूर हैं तो दूसरी ओर लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले वयोवृद्ध नेता खड़गे हैं. ऐसे मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है.
थरूर बनाम खड़गे को लेकर दो वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह और रशीद किदवई ने एबीपी न्यूज से विशेष बात की. उन्होंने बताया कि शशि थरूर या मल्लिकार्जुन खड़गे में से जो भी अध्यक्ष बनेगा तो कांग्रेस के सामने क्या चुनौतियां होंगी, इन नेताओं की चुनौतियां क्या होंगी और कांग्रेस में क्या बदलेगा?
- वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह की एबीपी न्यूज से बातचीत
सवाल: शशि थरूर जीते तो क्या चुनौतियां होंगी और अगर खड़गे जीते तो क्या बदलेगा?
जवाब: शशि थरूर जो हैं बेसिकली कैंडिडेट हैं प्रियंका वाड्रा के. अगर शशि थरूर अध्यक्ष बनते हैं, जिसकी उम्मीद बहुत ही कम है, नहीं के बराबर है कहना चाहिए तो फिर परिवार की लड़ाई और तेज हो जाएगी. ये कांग्रेस पार्टी पर कब्जे की राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा की लड़ाई है, जो अंदर-अंदर चल रही है, बाहर जो दिखाई नहीं दे रही है. प्रतिनिधि थरूर प्रियंका वाड्रा के हैं, मल्लिकार्जुन खड़गे सोनिया गांधी के हैं.
राहुल गांधी दिग्विजय सिंह को चाहते थे, सोनिया नहीं मानीं. तो इसलिए मल्लिकार्जुन खड़गे सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आप मान सकते हैं कि ज्वाइंट कैंडिडेट हैं. अगर शशि थरूर बन जाते हैं तो उनके सामने चुनौती होगी कांग्रेस की जो इंटरनल डेमोक्रेसी है, जिसकी बात वो करते रहे हैं, जिसकी चिट्ठी, जी-23 के वह भी सदस्य थे, उन्होंने लिखी थी. तो जी-23 के सदस्यों ने जो मुद्दे उठाए थे, उसका समाधान खोजना.
दूसरा, पार्टी को नए सिरे से खड़ा करना, संगठन खड़ा करना. उनका राजनीतिक अनुभव लगभग 10 साल का है. तो ऐसे उनके पास संगठन का कोई अनुभव नहीं है तो निर्भर करेगा कि किस तरह की टीम वो बनाते हैं. इसमें संगठन के लोग होते हैं या किसी तरह के इंटेलेक्चुअल्स होते हैं तो उससे कुछ होने वाला नहीं है. तो चुनौती तो यही है कि 2024 के चुनाव में कांग्रेस अपनी टैली को, अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर करें. तात्कालिक चुनौती यह है. दीर्घकालिक यह है कि कांग्रेस का जो खोया हुआ जनाधार है, उसको वापस लाना.
सवाल: थरूर अगर जीतते हैं तो प्रियंका गांधी किस स्थिति में रहेंगी?
जवाब: प्रियंका गांधी मजबूत होंगी राहुल गांधी के मुकाबले. पार्टी में ज्यादा उनकी चलेगी.
सवाल: खड़गे अगर जीतते हैं तो...?
जवाब: खड़गे अगर जीतते हैं तो स्टेटस को यथास्थिति बरकार रहेगी थोड़े से परिवर्तन के साथ. अभी राहुल गांधी फैसले लेते हैं, सोनिया गांधी उस पर मुहर लगाती हैं, उसको हां करती हैं. ये ठीक है कि मां-बेटे में कंसल्टेशन होता है. कई बार सोनिया गांधी उनकी बात नहीं भी मानती हैं लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे यह नहीं कर पाएंगे. राहुल गांधी जो करेंगे, उसको करना पड़ेगा जब तक कि सोनिया गांधी न रोकें. तो मल्लिकार्जुन खड़गे की जो लॉयलटी है, वफादारी है वो सोनिया गांधी के प्रति है, राहुल गांधी के प्रति इसलिए हैं कि वो सोनिया गांधी के बेटे हैं, सोनिया उनको चाहती हैं.
तो मल्लिकार्जुन खड़गे की सबसे बड़ी चुनौती ये होगी कि लोगों में एक परसेप्शन बनाना, धारणा बनाना कि वो रबर स्टैंप नहीं हैं, वो जो हैं सक्षम हैं- पार्टी को चलाने में, पार्टी को आगे बढ़ाने में. दूसरी चुनौती है कि जिस देश की दो तिहाई आबादी 35 साल से नीचे की है, युवा देश है भारत, उसमें 80 साल का व्यक्ति कैसे युवाओं को जोड़ेगा? 50 साल के राहुल गांधी नहीं जोड़ पाए, 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे कैसे जोड़ेंगे? उनके पास क्या रोडमैप है, क्या विजन है आगे का? या फिर वो केवल जो परिवार कहेगा, उसी के अनुसार चलेंगे? उनके सामने सबसे पहली जो चुनौती है वो परसेप्शन की है कि वो रबर स्टैंप नहीं हैं.
दूसरी चुनौती कांग्रेस के संगठन को फिर से खड़ा करने की है और तीसरी चुनौती है अपनी कोई लीगेसी छोड़कर जाने की. जैसे कि, वह अध्यक्ष बने तो ये काम किया वो काम किया. और चूंकि वो दलित समाज से आते हैं तो चौथी चुनौती है कि क्या दलितों को कांग्रेस से फिर जोड़ पाएंगे? ये कांग्रेस के इतिहास में दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे. पहले बाबू जगजीवन राम थे, दूसरे ये हैं.
सवाल: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर अभी चर्चा थी कि उन्होंने साउथ से स्टार्ट किया और बीजेपी रूल्ड स्टेट्स में बहुत बाद में यात्रा आई है. खड़गे भी चूंकि उधर से ही आते हैं तो क्या साउथ में कुछ मदद मिलेगी खड़गे से या बस वही होगा जो राहुल... या इसका कोई फैक्टर है खड़गे को लेकर?
जवाब: खड़गे कर्नाटक में भी कांग्रेस के सबसे बड़े नेता नहीं हैं. वहां कर्नाटक में आज की तारीख में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों इनसे बड़े नेता हैं.
- रशीद किदवई से बातचीत
सवाल: अगर शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो कांग्रेस में क्या बदलाव आएगा?
जवाब: देखिये आपने पहला प्रश्न जो किया कि अगर शशि थरूर को कामयाबी मिलती है तो? वो न सिर्फ कांग्रेस की राजनीति, बल्कि देश की राजनीति में एक नया उफान लाएगा और ये लगेगा कि कांग्रेस पुनर्जीवित हो रही है और देश का जो मध्यम वर्ग है, आज जिसकी बड़ी संख्या है, जो कांग्रेस के समय अलग नजर आता था, उसको कांग्रेस से जोड़ने का अच्छा मौका मिलेगा और देश के राजनीतिक दलों में जो आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है, उसको खत्म करेगा और उसमें कांग्रेस को अपनी लीडरशिप का मौका मिल जाएगा.
उसमें अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और जो दूसरे राजनीतिक दल हैं, जो गैर-भाजपा दल हैं, उनको भी बहुत ज्यादा नुकसान होगा लेकिन ये एक काल्पनिक प्रश्न है, उसका मैंने उत्तर दिया. मगर इस समय गेंद जो है वो नेहरू-गांधी परिवार के हाथ में हैं. अगर 10 जनपथ से यह संदेश जाता है कि वो किसी भी उम्मीदवार के हक में या उसके विरोध में नहीं हैं और वो अगर इस तरह की अपील करे कि जो मतदाता हैं वो अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए वोट दें तो मुझे लगता है कि स्थिति काफी दिलचस्प हो जाएगी.
सवाल: थरूर बहुत इंटेलेक्चुअल माने जाते हैं. क्या वह पार्टी को जमीनी स्तर पर खड़ा करने में सफल हो पाएंगे, क्या इस तरह की क्वॉलिटी आप देखते हैं थरूर साब में?
जवाब: आज कांग्रेस में बहुत कम ऐसे लोग हैं जो लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीते हैं. शशि थरूर उस श्रेणी में आते हैं. इस बात का मतलब है कि लोगों को संज्ञान लेना चाहिए, वो दुभाषी भी हैं, उनका ऐसा कहना कि .. उनकी हिंदी अच्छी नहीं है.. या.. मुझे लगता है कि काम चलाऊ हिंदी अच्छी बोल लेते हैं, उनमें तमाम तरह के गुण हैं.
जो ज्ञान की बात की जाती है तो उसमें कोई .. देखिये बहुत से लोग ये मानते हैं कि जवाहर लाल नेहरू बड़े आदर्शवादी थे, पीवी नरसिम्हाराव बहुत काबिल और पढ़े-लिखे और कई भाषाओं के जानकार थे.. प्रणब मुखर्जी के बारे में.. तो ज्ञान किसी के लिए निगेटिव चीज नहीं रहता. उनको राजनीति की समझ है, टाइम मैनेजमेंट आता है. डॉक्टर मनमोहन सिंह का भी उदाहरण दिया जा सकता है. अब कांग्रेस में देखिए किस चीज का अभाव है. उनके पास ऐसे लोग, जो इटेलेक्चुअल पावर्स हों, कांग्रेस में नहीं हैं तो खासतौर से अंतरराष्ट्रीय मामलों के जो जानकार हों. इस समय कांग्रेस में ऐसे लोग बहुत कम हैं तो इन सब चीजों को देखें तो शशि थरूर की अपनी एक पोजिशन है.
सवाल: ... और खड़गे साब अगर जीतते हैं तो?
जवाब: वो तो ढाक के तीन पात वाली बात होगी कि जो जैसे चला आ रहा है हाई कमान कल्चर और उसमें एक व्यक्ति, कोई कॉन्ट्रोवर्सी नहीं करेगा, जो अखबारों में सुर्खियां नहीं बनेंगी कि आज कांग्रेस अध्यक्ष का यहां तथाकथित रूप से अनादर हो गया.. ये हो गया.. ये तमाम चीजें या उनको फैसले में भागीदारी.. कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका ले रहे हैं तो ये तमाम चीजें जो मिर्च मसाला और जो चीजें होती हैं वो नहीं छपेंगी. तो इससे कांग्रेस की लीडरशिप जो है वो बची रहेगी क्योंकि खड़गे अपना काम करते रहेंगे और इधर कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा तो फिर आप देखिएगा कि खड़गे का राजनीतिक ग्राफ और ऊपर चला जाएगा.
सवाल: चर्चा ऐसी है कि शशि थरूर प्रियंका गांधी के कैंडिडेट हैं, इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब: वही मैं कह रहा हूं कि इसमें हमें जब तक कोई दूसरी बात न पता चले, तो क्या कहें, दो चीजें हैं. एक तो सब कांग्रेस के हैं, तो हम ये कह सकते हैं कि सभी कांग्रेस के कैंडिडेट हैं. दूसरी बात हम ये कह सकते हैं कि इतने लोग जो वहां पर नजर आए थे, उनके नॉमिनेशन भरने में, खड़गे के, तो लगता है कि झुकाव कांग्रेस हाई कमान का खड़गे की तरफ है. नहीं तो इतने सारे, जो सीडब्ल्यूसी के मेंबर और दुनियाभर के लोग, सब उनके लिए पहुंच गए.
सवाल: कहा ये जा रहा है कि खड़गे राहुल गांधी और सोनिया कैंडिडेट हैं और प्रियंका शशि थरूर को बैकअप कर रही हैं?
जवाब: हां ये सब कहा जा सकता है लेकिन जब तक हमें उसकी कोई बात न पता चले साफ तौर पर, तब तक हम ये इसका... वो नहीं कह सकते हैं.
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