Sheena Bora हत्याकांड में Indrani Mukerjea को राहत, Supreme Court से मिली जमानत
Sheena Bora Case: शीना बोरा हत्याकांड मामले में जेल में बंद इंद्राणी मुखर्जी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. इंद्राणी मुखर्जी 6 साल से ज्यादा समय से जेल में है, जिसके आधार पर कोर्ट ने उसकी रिहाई का आदेश दिया है.
शीना बोरा हत्याकांड मामले में जेल में बंद इंद्राणी मुखर्जी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. इंद्राणी मुखर्जी 6 साल से ज्यादा समय से जेल में है, जिसके आधार पर कोर्ट ने उसकी रिहाई का आदेश दिया है. इंद्राणी ने दलील दी थी कि उसका मुकदमा 6 साल से भी ज़्यादा समय से चल रहा है. अभी इसके जल्द निपटने की कोई संभावना नहीं है. इंद्राणी मुखर्जी साल 2015 में गिरफ्तार हुई थी. वह मुंबई की बायकुला महिला जेल में बंद है.
इससे पहले सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने कई बार इंद्राणी को जमानत देने के मना कर दिया था. इंद्राणी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए थे. उन्होंने कहा कि आरोपी इंद्राणी मुखर्जी धारा 437 के तहत खास छूट की हकदार हैं और पिछले काफी समय से जेल में बंद हैं. साथ ही पिछले 11 महीने से सुनवाई भई आगे नहीं बढ़ पाई है. दलील देते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि 237 में से 68 गवाहों की जांच की गई लेकिन इंद्राणी को पिछले कई साल से परोल नहीं दी गई है. जब कोर्ट ने पूछा कि परोल क्यों नहीं दी गई तो रोहतगी ने कहा कि उन्होंने परोल ली ही नहीं. हालांकि उनके पति पीटर मुखर्जी को जमानत मिल गई थी.
इससे पहले मार्च में इंद्राणी मुखर्जी (Indrani Mukerjea) ने कहा था कि सीबीआई मामले में अपनी 'घटिया जांच' को छुपाने के लिए उसके इस दावे की जांच करने को लेकर अनिच्छुक है कि ‘‘शीना जिंदा है.’’ इंद्राणी ने सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष आठ पन्नों की एक अर्जी पेश की थी जिसमें दावा किया गया था कि शीना बोरा जीवित है. इंद्राणी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को यह निर्देश देने का आग्रह किया था कि वह उसके इस दावे की जांच करे.
सीबीआई ने दाखिल किया था जवाब
इस पर सीबीआई ने एक लिखित जवाब में कहा था कि इंद्राणी का दावा "उसकी एक कल्पना’’ है और यह लगभग ‘‘असंभव’’ है कि शीना बोरा जिंदा है. सीबीआई ने कहा था कि मुखर्जी की अर्जी में कोई दम नहीं है और इसे मामले की सुनवाई में देरी करने के इरादे से दायर की गई है. इंद्राणी मुखर्जी ने वकील के जरिए सीबीआई के जवाब पर पत्युत्तर दाखिल किया था. इंद्राणी ने अपने प्रत्युत्तर में कहा था, ‘‘सीबीआई के जवाब में गुणदोष का अभाव है, यह दुर्भावना से भरा हुआ है और सच्चाई को दबाने के स्पष्ट इरादे से भ्रामक और झूठे प्रस्तुतीकरण, धारणाओं और अनुमानों से भरा हुआ है.’’
उसने कहा था कि आशा कोरके से पूछताछ करने को लेकर सीबीआई की अनिच्छा और कुछ नहीं बल्कि इस मामले में उनकी "घटिया" जांच पर पर्दा डालने का एक "दुर्भावनापूर्ण इरादे" का स्पष्ट संकेत देता है.
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