नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अपने निधन से पहले उन्होंने खुद को जिंदा दिल इंसान होने का अहसास कराया. दिल्ली की राजनीतिक हालात पर कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल और शीला दीक्षित के बीच शुक्रवार की शाम मीटिंग हुई. मीटिंग के दौरान शीला दीक्षित ने कुछ ऐसा कहा कि वो अब राजनीतिक गलियारे में एक मिसाल मानी जाएगी.


शीला दीक्षित ने मीटिंग के दौरान अहमद पटेल से बोलीं, “मैं लड़ते हुए जाना चाहती हूं अहमद भाई” मैं राजनीति ऐसे ही करती हूं जिसमें पार्टी के लिए कुछ बड़े फ़ैसले लेने पड़ते हैं और मैं वही फ़ैसले कर रही हूं जो पार्टी के हित में हैं.दरअसल दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं शीला दीक्षित के बीच काफ़ी राजनीतिक मतभेद चल रहे थे उसी को लेकर ये मीटिंग बुलाई गई थी. उसी मीटिंग के दौरान शीला दीक्षित ने ये लाइन बोली थी.


शीला दीक्षित के देहांत के बाद भी दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको उनकी अंतिम यात्रा मे शामिल नहीं हुए. लोकसभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. लोकसभा चुनाव के दौरान जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी से समझौते की बात हुई तो शीला दीक्षित का ही फ़ैसला था कि 'आप' से गठबंधन नहीं किया जाए. लोकसभा चुनाव के जब नतीजे आए तो दिल्ली मे कांग्रेस पाँच सीटों पर दूसरे नम्बर पर रही. हालांकि, कांग्रेस दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से कोई सीट नहीं जीत पायी.


आने वाले दिल्ली के विधानसभा चुनाव को कांग्रेस शीला दीक्षित के चेहरे पर लड़ना चाहती थी. लेकिन उनके अचानक निधन के बाद दिल्ली में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा ये पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती है.


दिल्ली सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन पर दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. शीला 81 साल की थीं. वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रही थीं और उन्हें शुक्रवार की सुबह सीने में जकड़न की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां शनिवार दोपहर बाद तीन बजकर 55 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. शीला दीक्षित 1998 से 2013 के बीच 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं.