Shekhar Joshi Passed Away: हिंदी के मशहूर कथाकार शेखर जोशी का 90 साल की उम्र में हुआ निधन
हिंदी के मशहूर कथाकार शेखर जोशी का गाजियाबाद में निधन हो गया है. हिंदी भाषा को पढ़ने और समझने वाले लोगों को इससे बड़ा झटका लगा है. इसी के साथ साहित्यकारों के लिए भी ये किसी सदमे से कम नहीं है.
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Shekhar Joshi Death: हिंदी के मशहूर कथाकार शेखर जोशी (Shekhar Joshi) का आज 90 साल की उम्र में निधन हो गया. प्रतुल जोशी ने बताया कि उनके पिता ने आज दोपहर 3:20 पर गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. प्रतुल ने बताया कि पिछले 10 दिनों से उनकी आंत का इलाज चल रहा था.
प्रयागराज के कवि संतोष चतुर्वेदी ने भी शेखर जोशी को याद किया. उन्होंने कहा कि जोशी नई कहानी आंदोलन के कथाकार थे और वे नए लेखकों को काफी प्रोत्साहित करते थे. इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में वह 50 वर्ष से अधिक समय तक रहे और अपनी लगभग सभी रचनाएं उन्होंने यहीं लिखीं.
चतुर्वेदी ने बताया कि बताया कि शेखर जोशी की प्रमुख कृतियों में कोसी का घटवार, बदबू और मेंटल शामिल हैं. हाल ही में उन्होंने पार्वती नाम से एक कविता संकलन भी पेश किया था. जोशी को इफको की ओर से कला साहित्य सम्मान और देहरादून में विद्या सागर नौटियाल सम्मान से सम्मानित किया गया था.
शेखर जोशी के बारे में ये भी जान लीजिए
शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में साल 1932 के सितंबर माह में हुआ था. शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई. इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का ई.एम.ई. अप्रेंटिसशिप के लिए चयन हो गया, जहां वो सन 1986 तक सेवा में रहे और उसके बाद स्वैच्छिक रूप से पदत्याग कर स्वतंत्र लेखक बन गए.
इन कहानियों से मिली शेखर जोशी को नई पहचान
दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियों ने न सिर्फ शेखर जोशी के प्रशंसकों की लंबी जमात खड़ी की बल्कि नई कहानी की पहचान को भी अपने तरीके से प्रभावित किया. शेकर लगातार पहाड़ी इलाकों में गरीबी, कठिन जीवन संघर्ष, उत्पीड़न, यातना, उम्मीद और धर्म-जाति से जुड़ी रूढ़ियों के बारे में भी लिखते रहे. नीचे देखिए उनकी प्रमुख प्रकाशित रचनाएं.
- कोशी का घटवार 1958
- साथ के लोग 1978
- हलवाहा 1981
- नौरंगी बीमार है 1990
- मेरा पहाड़ 1989
- डागरी वाला 1994
- बच्चे का सपना 2004
- आदमी का डर 2011
- एक पेड़ की याद
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