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शेखर सुमन ने खोले बॉलीवुड के राज, कहा- कुछ पावरफुल लोग फिल्म इंडस्ट्री में चलाते हैं गैंग

शेखर सुमन ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि कभी उनका बेटा अध्ययन भी गहरे डिप्रेशन का शिकार हो गया था.

पटना: मशहूर एक्टर शेखर सुमन ने एबीपी से न्यूज़ से बात करते हुए कहा फिल्म इंडस्ट्री को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उन्होंने कहा कि उनके बेटे अध्ययन सुमन के जीवन में भी एक मोड़ ऐसा आया था जब वह सुशांत सिंह राजपूत की तरह ही डिप्रेशन में चले गए थे. इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड में जारी गुटबाजी पर काफी कुछ बोला. उन्होंने कहा कि कुछ पावरफुल लोग फिल्म इंडस्ट्री में गैंग चलाते हैं और उभरते कलाकारों को आगे नहीं बढ़ने के लिए साजिश रचते हैं. जानते हैं उन्होंने क्या-क्या कहा.

अंडरवर्ल्ड से भी बड़ा गैंग चलता हैशेखर सुमन ने कहा कि जिस माफिया की आप बात कर रहे हैं वह कभी बहुत सक्रिय था उसका स्वरूप अब बदल गया है. वह माफिया अब भेष बदलकर फिल्म इंडस्ट्री में आ गया है, ये अंडरवर्ल्ड के लोग नहीं हैं लेकिन अंडरवर्ल्ड से कम भी नहीं है क्योंकि उनका जो प्रभुत्व, पकड़ या उनका असर कह लें वो पूरी इंडस्ट्री में है. इनके कहे बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता.

फ़िल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज़्म नहीं गैंगइज़्म है“सबसे पहले मैं बता दूं कि जिसने भी ये नेपोटिज्म शब्द की शुरुआत की हो लेकिन हम तो बचपन से ही सुनते आ रहे हैं क्योंकि मेरे पिताजी एक डॉक्टर थे और सरकारी अस्पताल में थे वहां नेपोटिज्म बहुत हुआ करता था. फिल्म इंडस्ट्री के बीच अभी जिसने भी इस शब्द का प्रयोग किया या तो उसकी अंग्रेजी कमजोर थी या बुद्धि कमजोर थी क्योंकि नेपोटिज्म का मतलब होता है कि आप अपने अधिकार या प्रभाव से अपने रिश्तेदारों या अपने परिवार के लोगों को किसी ऐसी जगह पर डाल देते हैं जिसके वो हकदार नहीं है. इसे भाई-भतीजावाद कहते हैं लेकिन इंडस्ट्री तो एक खुला मैदान है इसमें जो चाहे जैसा भी चाहे वो कर सकता है. इसमें नेपोटिज्म वाली बात नहीं उभरती है क्योंकि एक बाप अपने बेटे के लिए फिल्म बनाए वो नेपोटीजम नहीं है. एक भाई अपने भाई के लिए फिल्म बनाए वो नेपोटिज्म नहीं है. यहां ‘गैंगइज्म’ यहां मैं जिस नेक्सेस की बात कर रहा हूं वह बहुत खतरनाक है, नेपोटिज्म तो बहुत छोटी सी चीज है और मेरे समझ से फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म है ही नहीं क्योंकि अगर नेपोटिज्म होता तो मैं कभी हीरो नहीं बनता.’’

कई स्टार के बेटे नहीं चलेमुझे 15 दिन में सबसे बड़ी फिल्म हासिल हुई उत्सव, जो रेखा जी के साथ थी, शशि जी प्रोड्यूसर थे, गिरीश कर्नाड उसके डायरेक्टर थे और शशि कपूर के खुद दोनों बेटे हकदार थे उस रोल के लिए लेकिन शशि जी को लगा कि मैं ज्यादा करीब हूं उस रोल के और मेरा ज्यादा हक बनता है उस रोल को करने का. मैं उसके लायक था इसलिए उन्होंने मुझे चुना, मैंने स्क्रीन टेस्ट दिया और अव्वल आया तो मुझे मौका दिया गया. अब अगर नेपोटीजम की बात करें कि क्यों यह नहीं है तो आप देखें कि देव साहब के लड़के थे, मनोज कुमार के लड़के थे, राजेंद्र कुमार के लड़के, जितेंद्र कुमार के लड़के, शत्रु साहब के लड़के, फिरोज खान के लड़के, कोई भी उस मुकाम पर नहीं पहुंचा जहां उनको पहुंचना चाहिए था, सब में हुनर भी है सब कुछ है पर शायद किस्मत ने साथ नहीं दिया अगर नेपोटिज्म का बोलबाला होता तो ये सभी ऊपर होते.”

नेकसेस बर्बाद करता है उभरते कलाकारों को“अगर दूसरी तरफ देखें तो जितने भी बाहर के लोग हैं, आज की डेट में जितने भी हैं चाहे आयुष्मान खुराना हो राजकुमार राव हो, नवाजुद्दीन सिद्दीकी हो, चाहे वो ऋचा हो या हेमा हो चाहे वो तापसी पन्नू हो जितने भी लोग हैं बाहर के सबको मौका दिया जाता है लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब आप बड़े बनते हैं तब ये नेक्सेस सक्रिय हो जाता है फिर वो आप पर कब्जा पाना चाहता है जैसे विक्की कौशल जब छोटे थे छोटी मोटी फिल्मों में काम करते थे उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं था जैसे ही बड़े बनते हैं नेक्सेस कहता है कि अब इसे अंदर लाओ, हमारे दायरे में लाओ फिर वो उसपर कब्जा कर लेते हैं, फिर वो उनसे कॉन्ट्रैक्ट साइन कराते हैं.”

मेरे बेटे अध्ययन के साथ नाइंसाफी हुई“यही है कि मैंने जिस तरह के कार्यक्रम किए थे. जैसे मैं ‘मूवर्स एंड शेकर्स’ में करता था तो वो एक ऐसा शो था जहां मुझे सबों के बारे में थोड़ा बोलना पड़ता था, एक स्क्रिप्ट मुझे दी जाती थी तो मेरा कोई पर्सनल एजेंडा नहीं था पर जिन लोगों के बारे में मैंने बोला वो मुझसे खार खा गए कि इसने हमारे बारे में ऐसा कैसे बोला. मेरा तो शायद वो कुछ नही बिगाड़ पाए या बहुत कुछ नहीं ले पाए लेकिन ये शब्द उन्होंने कहे कि इसकी सजा इसके बच्चे को जरूर देंगे. उसे कोई फिल्म नहीं लेने देंगे और उसके पास मुझे मालूम है कि कितनी फिल्म आई और उसको कितनी फिल्मों से हटाया गया, कितने उसने दरवाजे खटखटाये और कितनों ने उसके मुंह पर दरवाजा बंद किया.”

अगर आप चापलूस नहीं तो गए काम से“मगर मैं भी जिद में था और मैंने कहा फोन उठा कर तुम्हारी तरफदारी नहीं करूंगा जाओ लड़ो क्योंकि ये दुनिया तुमने चुनी है और ये दुनिया मैंने भी चुनी थी और सुशांत ने भी यहीं दुनिया चुनी थी, हमे मालूम है कि जब आप चापलूस नहीं होते हैं, जब आप चाटुकारिता में नहीं होते हैं तो फिर आपको दुत्कार दिया जाता है तो फिर आपको कगार पर खड़ा कर दिया जाता है, आपको प्रताड़ित किया जाता है.”

सुशान्त वॉरियर था’ “सुशांत की यह जो दुखद दुर्घटना हुई है, पहले तो उसने जो किया गलत किया मैं मानता हूं कि आत्महत्या निदान नहीं है, आपके जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है और आपको वहां रहकर लड़ना है चाहे कितने भी लोग आपके पीछे आ जाएं आप एक वॉरियर हैं आपको लड़ना है और वो बंदा जो यह तय कर ले कि मुझे फिल्म नहीं मिले तो टीवी कर लूंगा टीवी भी नहीं मिले तो थियेटर कर लूंगा अगर वो भी नहीं मिलेगा तो यूट्यूब स्टार बन जाऊंगा वो कभी ऐसा कदम उठा सकता है ये मानने वाली बात नहीं है.”

अध्ययन अगर अकेला रहता तो वह भी कुछ कर लेतायह एक संशय का विषय है और अगर उसने ऐसा किया है तो मेरे समझ से परे है कि जिस लड़के में इतनी हिम्मत थी वो परेशान होकर ऐसा कदम उठाता है तो वो गलत है लेकिन मैं कहता हूं कि अध्ययन को भी अगर हमने अकेले छोड़ दिया होता तो वो भी एक ऐसे जोन में जा चुका था जहां वो भी इस तरह के कदम उठा सकता था और वो बहुत भयावह है जो उसने मुझे बताया कि एक दिन कि मैं भी ये कदम उठा सकता था अगर तुम लोग पास नहीं होते. इसलिए कोई भी आपका अपना बच्चा-बच्ची, बेटा या बेटी या जो भी हो जो ऐसे डिप्रेशन के दौर से गुजर रहा हो या परेशानी के दौर से गुजर रहे हो या शिकस्त के दौर से गुजर रहा हो जहां उनको लगता है कि दुनिया उनको लताड़ रही है तो उस समय पेरेंट्स का दोस्तों का साथ होना बहुत जरूरी है.”

इस इंडस्ट्री में कोई किसी का नहीं“आप उनसे बात करके उनका इलाज कर सकते है जो बड़े बड़े मनोचिकित्सक नहीं कर सकते वो आप कर सकते हैं तो मेरा अध्ययन भी ऐसा कदम उठा सकता था लेकिन भगवान का शुक्र है कि हम वहां थे और हमने उससे बहुत बातचीत की जिंदगी के बारे में समझाया जिंदगी की कीमत के बारे में समझाया, लड़ने की कीमत के बारे में समझाया और बताया कि ‘यू हैव टू जस्ट गो ऑन फाइटिंग एंड नेवर गीवअप,नेवर से डाई, यू आर ए वारियर,यू आर बोर्न वारियर’ और अलका मेरी पत्नी कहती थी कि देखो तुम अपने पिता को तुम्हारे पिता भी एक योद्धा हैं जो कितने युद्धों को जीते हैं और कितने हारे भी हैं कुछ लोग हैं जो आपके पीछे पड़ जाते हैं, खैर ये हमारी कहानी नहीं है पर हर उस इंसान की कहानी है जो इस इंडस्ट्री में आएगा और उन सभी को यहां ऐसी ही स्थिति से जूझना पड़ेगा.”

सुशांत मामले की सीबीआई जांच करनी होगी’ “जो सुशांत के साथ हुआ वो बहुत दुःखद है, हम इसके लिए जांच की मांग कर रहे है क्योंकि हम चाहते हैं कि कम से कम इसको एक अंतिम रूप दे दिया जाए ताकि उनके जितने भी चाहने वाले लोग हैं उन्हें इत्मीनान हो जाए कि ऐसा ही हुआ है और इसकी कोई वजह नहीं है. जी बिल्कुल इसमे सीबीआई जांच होनी चाहिए.”

गॉड फादर फ़िल्म इंडस्ट्री में पावरफुल होता है“गॉडफादर के लिए मेरा कहना हां और ना दोनों है क्योंकि कभी-कभी वाकई कोई आपको चाहता था तो आपका वो गॉडफादर बन जाता था लेकिन अक्सर गॉडफादर उस सिंडिकेट का हिस्सा ही होता था क्योंकि गॉडफादर वहीं बन सकता था जिसके पास इतनी पवार होती थी कि वो कास्टिंग से लेकर म्यूजिक, गाने आदि पर दखलंदाजी कर सकता था. यहां तक कि हीरो हीरोइन का चयन भी वहीं कर सके. तो इसका अलग-अलग रूप और स्वरूप आता गया है लेकिन नेक्सेस वो नेपोटीजम नहीं गैंगेइज्म सक्रिय रहा है और अब बहुत ज्यादा हो गया है. अब इतना ज्यादा हो गया है कि अब अगर आपने उनकी बात नहीं मानी तो आपका जीना दूभर कर दिया जाएगा.”

सलमान, करन जौहर के खिलाफ कोई सुबूत नहीं“मैं इन नामों से इत्तेफाक नहीं रखता क्योंकि मेरे पास कोई तथ्य नहीं है सबूत नहीं है इसलिए मैं नाम लेने में विश्वास नहीं रखता पर नेक्सेस है अब इसमें कौन लोग हैं ये जांच का विषय है, वो कौन लोग थे जिन्होंने इसे परेशान किया था आपने जिन लोगों का नाम लिया हो सकता है कि वो ना हो कोई और हो, हो सकता है जनता गुमराह होकर इधर चली गई हो, वो कौन लोग हैं ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि ये लोग थे जिन्होंने ऐसा किया लेकिन नेक्सेस है और इसके चेहरे और नंबर दोनों बदलते रहते हैं लेकिन वो एक बहुत ही सश्क्त रूप में हमारी फिल्म इंडस्ट्री में है, हमारे म्यूजिक इंडस्ट्री में है और हर जगह है.”

'सिंडिकेट तय करता है भविष्य' “ये जो सिंडिकेट है वही तय करता है कि कौन सी फिल्में बनेंगी, यही तय करता है कि इसमे कास्ट क्या होगा, इसमे कौन म्यूजिक डायरेक्टर या कौन गायक होगा, आप देखते होंगे कि कितने गायक ने गाने गाए फिल्में रिलीज हुई और थोड़ी सी मतभेद के बाद उसके गाने को ही डब करके चलाया जाता है जो उनको बताया भी नहीं जाता है, कितने लोगो की कास्टिंग होती है फिर उन्हें निकाल दिया जाता है, इसलिए मैं नेपोटीजम की बात कर रहा हूँ क्योंकि कोई अगर अपने बेटे को कास्ट कर रहा है तो कोई बात नही लेकिन आप किसी दूसरे प्रोडक्शन हाउस में कोई कास्टिंग हो रही है उसको हटाकर अपने लोगों को वहां बिठाए ये नेपोटिज्म है.”

'थियेटर पर भी कब्ज़ा कर लेते हैं' "इनके हाथों में तो पूरा कब्जा होता है थियेटर का तो जब फिल्म रिलीज होती है तो ये सारे थियेटर पर कब्जा कर लेते हैं और बांकी जितनी भी फिल्में रिलीज होती हैं जो नेक्सेस का हिस्सा नहीं है उनको बर्बाद कर देती है, उनको शो का टाइम नहीं दिया जाता उनको थियेटर नहीं देते वो फिल्में दूर दराज कहीं लगती है और वो फिल्में फ्लॉप हो जाती है और इनका धंधा चलता रहता है. इसको रोकने का एक ही उपाय है ये जनता को मालूम है और जनता धीरे धीरे नकाबपोशों को पहचान रही है, पर्दाफाश हो रहा है."

'ऐसे लोगों के फिल्मों का बहिष्कार हो' "चेहरे उभर कर सामने आ रहे हैं, जनता द्वारा उनकी फिल्मों का बहिष्कार करना बहुत जरूरी है. उनको बताना है कि आप जो टैलेंट लेकर आ रहे हैं जो बिल्कुल टैलेंट लेस है उनकी फिल्में हम नहीं देखेंगे. जबतक आप फिल्म लेकर नहीं आएंगे चाहे वो कहीं से हो तब तक हम आपके फिल्मों को सपोर्ट नहीं करेंगे,ये जबतक नहीं होगा ये नेक्सेस एक्टिव रहेगा, चूँकि अभी आवाज उठ रही हैं तो वो थोड़ा दब जाएगा और फिर जब आवाज कम होगी तब फिर उभर जाएगी. मेरे ख्याल से कैम्पेन तो चल ही रहा है, बहुत सारी आवाजें उठ रही हैं और वो बहुत सारी आवाजें एक साथ मिलकर अब इसके अंजाम की बात कर रही है कि हमे इसका क्लोजर दो, हमे बताओ कि क्या हुआ है क्योंकि ये नॉर्मल वे में आप अगर सुशांत सिंह के तरफ देखे तो हम अटकलें लगा रहे हैं कि जिसके पास सबकुछ था वो ऐसे पोजिशन पर था कि वो फिल्मों का अपना चयन कर सकता था कि मुझे कौन सी फिल्म करनी है या नहीं करनी है."

'सुशांत अगर आत्महत्या करता तो सुसाइड नोट छोड़ता' शायद यह भी उसके बर्बादी का कारण बना क्योंकि जिसे उन्होंने ना कहा वो इसके पीछे पड़ गए तो फिल्में तो उसके पास थी उसने सौ करोड़ से ज्यादा की तीन फिल्में कर चुकी थी, उसकी लव लाइफ भी अच्छी थी, फाइनेंशियल भी वो बहुत सिक्योर था, बांद्रा में पेंट हाउस था, गाड़ियां थी कुछ स्टार्टअप कंपनी भी थी सबकुछ था फिर ऐसी क्या वजह हुई कि उसको सुसाइड करना पड़ा और मैं बार-बार कह रहा हूँ कि वो एक ब्रिलियंट स्टूडेंट् रहा, इंटेलिजेंट था, रिस्पांसिबल था, समझदार था तो वो आत्महत्या करता नहीं क्योंकि जिस तरह वो कहता था कि आखिरी दम तक लड़ूंगा अगर वो आत्महत्या करता भी तो मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि वो एक सुसाइड नोट छोड़कर जाता.

'उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाया गया' "ऐसी जितनी भी घटनाएं हुई उसमे जब लोगों ने आत्महत्या की है तो लोगों ने कहा कि ये मेरे अपने मानसिक तनाव के वजह से कर रहा हूँ और इसका दोषी किसी को न ठहराया जाए, सुशांत में कम से कम इतनी जिम्मेदारी का अहसास तो था कि मेरे जाने के बाद अगर मैं नोट नहीं छोडूंगा तो बहुत लोग इसके घेरे में आ सकते हैं तो ये नोट जरूर छोड़कर जाता. अगर उसने नहीं छोड़ा है तो मैं कह रहा हूँ क्योंकि ऐसा मैं सोच रहा हूँ अगर नहीं छोड़ा है तो इसमे फाउल प्ले हो सकता है, इसमे कुछ और तथ्य भी हो सकता है. इसलिए कह रहा हूँ कि उच्चस्तरीय जांच की शख्त जरूरत है. जहां हम पता कर सके कि ये वाकई खुदकुशी थी या किसी ने उसको इस कगार पर ला खड़ा किया था कि वो आत्महत्या करले या उसका खून किया गया हो."

'अवार्ड देने में बेईमानी होती है' "ये क्रूर चेहरा मेरे भी जिंदगी में आया है और देखिए चाहे वो अमिताभ बच्चन हो शत्रुघ्न सिन्हा हो शारुख खान हो हर कोई इस दौर से गुजरता है, जब उसे ऐसा लगता है कि उसका हक उससे छीना जाता है या जिस चीज का वो दावेदार है वो मुझे मिलना चाहिए और वो मुझे नहीं मिला, मैंने जिंदगी भर बहुत मेहनत की बहुत अप्रिशियेशन मिला लेकिन वो जो एक्नॉलेजमेंट होती हैं जो आपको मिलती है और वो कैसे मिलती है जब आपको रिवॉर्ड दिया जाता है, अवार्ड दिया जाता है."

"आप लड़ते तो हैं पर जब आपसे सबकुछ छीन लिया जाता है क्योंकि आपमे वो हिम्मत है और कहीं न कहीं आपके हिम्मत को तोड़ने की भरपूर कोशिश की जाती है कि इसको एक्नॉलिज ही मत करो चाहे यह कितना भी बेहतर काम करे तो मुझे ऐसा लगता है कि मुझे जिंदगी में एक्नॉलेजमेंट के रूप में एक अवार्ड के रूप में मिलनी चाहिए वो मुझे कहीं नहीं दी गई और वो दूसरे को मिडियोकर लोगों को मिली तो वो आपके हक को छीना जाता है."

"आमिर औऱ अक्षय ने अवार्ड की असलियत बताई" आमिर खान ने इतने दिनों से अवार्ड लेना क्यों बंद किया क्योंकि मालूम है कि वो रिकड है, अक्षय कुमार ही कह रहे थे कि उन्हें साफ तौर पर किसी ने फोन करके कहा कि आपको हम पैसे तो दे सकते हैं. अगर आप यहां आकर परफोर्म करेंगे तो हम आपको आधा पैसा भी देंगे और आपको अवार्ड भी देंगे तो उन्होंने कहा कि आप मुझे पूरे पैसे दीजिये और अवॉर्ड आप अपने घर पर रख लीजिए तो अवॉर्ड की यह स्थिति है.

'मनोबल तोड़ देता हैं माफिया' आप सुशांत सिंह पर आ जाते हैं तो काई पोचे में इतना अच्छा काम किया जिसने सौ करोड़ पार किया जो बेस्ट डेब्यू एक्टर अवार्ड के लिए डिजर्व करता था उनको एक्नॉलिज्मेंट नहीं दी गई. छिछोरे में भी उनके साथ वही हुआ, धोनी में भी उसको कोई अवार्ड नहीं मिला मतलब उसको कहीं भी रेककनाइज नहीं किया गया. जो कहीं न कहीं आपके हिम्मत को तोड़ता है और यहीं इस नेक्सेस का धेय यहीं है अगर आप मेरे घेरे में नहीं है तो आपको हम इस तरह से हर तरफ से तोड़ देंगे बर्बाद कर देंगे हर तरीके से, आपको पार्टी में नहीं बुलाएंगे, आपको अवॉर्ड फंग्सन में नहीं बुलाएंगे, आपको बुलाएंगे भी तो आपको पीछे सीट देंगे जानकर ताकि आपका मनोबल टूट जाए, आपको अवॉर्ड नहीं देंगे तो इस तरह से प्रताड़ित किया जाता है.

'मेरी हिम्मत और काबिलियत ने मुझे ज़िंदा रखा' "बिहार से है या किसी छोटे शहरों से है तो आपकी औकात क्या है आप पीछे रहिए यहां बहुत टैलेंटेड लोग घूम रहे हैं. यहां स्टार किड्स ग्रूम हो रहे हैं यहां इतना पैसा पीआर मेकअप और कपड़ो पर खर्च किया जा रहा है. आपकी औकात क्या है? आप बाहर रहिए. इनके मुंह पर तो सारे दरवाजे बंद किए जाते हैं, हमलोग तो खुशकिस्मत थे कि मैं तो निकल आया क्योंकि मुझमें उतनी हिम्मत थी और वो बिहारी ताकत और दम था कि मैं सबसे लड़ मरा, मैंने कहा कितना छीन लोगे मेरा किस्मत तो नहीं छीन पाओगे"

'यहां कोई भाई नहीं कोई परिवार नहीं सब झूठ है' "तुम मुझे सिनेमा से निकलोगे मैं टीवी में काम कर लूंगा वहां से निकालोगे तो होस्टिंग कर लूंगा वहां से निकलोगे तो मैं कॉमेडी कर लूंगा तुम वहां भी करोगे तो मैं बॉडी बना लूंगा, मैं गाने गा लूंगा थियेटर कर लूंगा मैं अपना शो कर लूंगा, मुझे तुम नही निकाल सकते मैं पानी हूँ कहीं से भी अपना रास्ता ढूंढ कर निकल आऊंगा लेकिन हर कोई इस तरह की लड़ाई नही लड़ सकता मेरी पत्नी अक्सर बेटे अध्ययन को कहती है कि तुमने ये इंडस्ट्री क्यों चुनी जब तुम लोगो के पास जाकर चापलूसी नही कर सकते और तुम्हें मालूम है कि तुम्हे फिल्मों से निकाल जा रहा है तो तुम्हे मालूम है कि इसका असर तुमपर क्या हो रहा है और तुम्हारे पिता और मुझपर क्या हो रहा है कि एक जवान बेटा है और उसको काम नही मिल रहा है और वो इतना लायक है जो बड़ी फिल्म हिट दी है राज और जश्न में तो वो इतना कृतकली एक्लेमेड है फिर क्यों काम नहीं मिल रहा है और जो भैंस की तरह मोटे हो गए हैं उनको भी काम दिया जा रहा है जिनको एक्टिंग की ए तक नही आती उन्हें काम दिया जा रहा है पर तुम्हे क्यों नही दिया जा रहा है काम तो ये सब बातें हैं और ये सब ये नही है कि आज हमें पता चला है हमें मालूम है कि हमारी इंडस्ट्री ऐसी नही है ये इंडस्ट्री में बहुत खूबसूरत परिवार है हम सब मिलकर रहते हैं सब भाई भाई है ये सब झूठ है यहां कोई परिवार नही है और अगर परिवार है तो ये बहुत क्लेश वाला परिवार है जहां लोग एक दूसरे के लाशों पर चढ़कर चले जाते हैं."

'लोग पीठ पर खंजर से वार करते हैं' "ये बहुत कंप्टिटेटिवे इंडस्ट्री है जहां सीट कम है और दावेदार ज्यादा है तो लोग मारकाट कर ऊपर बढ़ सकते हैं तो वो ऐसा करते हैं भाई भाई को मार देता है दोस्त दोस्त को पीछे से खंजर भोंक देता है, सामने गले मिलते हैं और पीछे से जाकर पत्ता काट देते हैं, आप काम करे फिल्मों में तो आपके रोल कम करवा देते हैं, रोल एडिट करवा देते हैं तो ये बहुत इंस्क्योर इंडस्ट्री है और यहाँ सर्वाइवल ऑफ फिट्स तो है ही सर्वाइवल ऑफ कलेब्रेस भी है जो उत्पात मचा सकता है जो चाटुकारिता कर सकता है जो दगा दे सकता है यानी जिसमे जितने बुरे गुण है वो सर्वाइव कर जाएगा, जो अच्छे गुण से सर्वाइव कर गए वो बहुत खुशकिस्मत थे वार्ना बांकी के बस की बात नही यहां अच्छे अच्छे टूट जाते हैं"

'राजनीति में अब नहीं' "मैं हाथ जोड़कर माफी मांगना चाहूंगा कि मैं पॉलिटिक्स से बिल्कुल भी संलग्न नही हूँ और मैं किस्मत आजमाने नही आऊंगा मैं एक धेय के साथ आया था मैं कभी ये नही सोचा कि एमपी बन जाऊंगा तो एक तमगा लग जायेगा उस धेय से नही आया था मेरी परवरिश वैसी नही हुई हैं मेरी सोच ऐसी नही है मैं वाकई आया था कि क्योंकि आज मैं जो भी हूँ बिहार और पटना की वजह से हूं और मेरा ये कर्ज है कि उसको कुछ वापस दे सकूं, मुझे ग्लानि था कि मैं इतने दिनों में पटना के लिए कुछ नहीं कर पाया पर मुझे ऐसा लगा कि अब वक्त आया है मुझे ऑफर दिया गया था मैं किसी के पास नही गया था मैंने सोचा कि लड़कर पटना के भलाई के लिए कुछ कर सकूं वहां के लोगो के लिए गरीब लोगो के लिए वहां के व्यवस्था के लिए, वहां के परिस्थितियों के लिए कुछ कर सकूं तो ये मेरे लिए बहुत सुख की बात होगी इसलिए मैं वो कोशिश की पर जो सोच जनता की है वो पार्टी जाति और इस तरह के संमिकरण को वोट देते हैं वो इंसान को वोट नही देते हैं उसके धेय को नही देखते तो मैं नही समझता कि मैं इससे जुड़ना चाहूंगा मैं सिर्फ यहीं कहना चाहूंगा कि जो भी पार्टी हो या जो भी लोग आए वो इस मंशा से आये की जिसमें बिहार का भला हो, बिहार आगे बढ़े और उन्नति करे"

'फ़िल्म इंडस्ट्री और राजनीति दोनों में बहुत कींचड़' "दोनों जगह ही बहुत कीचड़ है राजनीति में भी कीचड़ है और यहां फिल्म इंडस्ट्री के राजनीति में बहुत कीचड़ है, दोनों जगह ये बराबर का ही मामला है और दोनों जगह गंदगी है क्योंकि स्टेक्स बहुत ऊपर के हैं, नाम है पैसा है पॉपुलैरिटी है ये सब है और दोनों जगह आपको बहुत संभल कर चलना होगा लेकिन मैं इतना मानकर चलता हूँ कि आप बहुत सीधे साधे है बहुत ईमानदार है बहुत सच्ची सोच रखते हैं तो ये दोनों इंडस्ट्री आपके लिए नही है आपको होशियार और बहुत चतुर और थोड़ा क्रूर बनना बहुत जरूरी है वर्ना दोनों जगहों में आपके कदम उखाड़ दिए जाएंगे आपको संभलने नही दिया जाएगा"

'युवाओं को सन्देश' "मैं उनसे सिर्फ यहीं कहूंगा कि जब तुम कहीं भी जाते हो किसी भी व्यवसाय में तो जाकर सोचों की तुम ही सबसे बेहतर हो और ये सिद्ध करो खुद से, मुझे दुनिया की कोई ताकत नही हटा सकती एकबार जो मैंने सोच लिया और खासकर बिहारी ने ऐसा सोच लिया या कहीं भी छोटे स्टेट से तो उनमें इतना मनोबल होता है कि जब ये भारत को प्रथम राष्ट्रपति दे सकता है,ये बिहार बुद्ध की भूमि है महावीर, गुरु गोविंद सिंह की भूमि है यहां से उपज हुई है वो इतना सशक्त है और उसमे इतना मनोबल है मैं कहूंगा कि उस मनोबल को टूटने मत दीजिएगा चाहे कितनी भी विपत्ति आये हटीएगा नही डटे रहिए और कामयाबी आपके पास आएगी हो सकता है कि आप शोहरत के उस बुलंदी तक ना पहुँचे लेकिन आप कामयाब होंगे जरूर तो ये धेय मन में रखिये हमेशा की सुसाइड इसका उत्तर नही है, हट जाना उत्तर नही है वहीं पर डटे रहना और कहना कि अगर तुममें हिम्मत है तो मुझे हटा कर देख लो मैं बिल्कुल यहीं डाटा रहूँगा और जिस धेय के साथ और मनसा और लक्ष्य के साथ आया हूँ वो पूरा करके रहूँगा."

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सुशांत सिंह राजपूत की मौत की फाइनल पोस्टमॉटर्म रिपोर्ट आई सामने, ये था मौत का कारण

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