लखनऊ: इस्लामिक कैलेंडर का नया साल यानी मुहर्रम का महीना आज (21 अगस्त) से शुरू हो रहा है. उत्तर प्रदेश समेत देश के तमाम हिस्सों में बीती शाम मुहर्रम का चांद दिखने की तस्दीक की गई. हज़रत इमाम हुसैन समेत कर्बला के 72 शहीदों की याद में ग़मज़दा होने की वजह से इस्लाम धर्म को मानने वाले नया साल होने के बावजूद इस महीने कोई खुशियां नहीं मनाते और पूरे महीने ग़म में डूबे रहते हैं. मुहर्रम के महीनें में शिया समुदाय के लोग मातम और मजलिसें करते हैं और ताजियों के जुलूस निकालते हैं. हालांकि, इस साल कोरोना वायरस महामारी के कारण मातम, मजलिसें और ताजियों के जुलूस पर रोक लगाई गई है. प्रशासन की इस रोक पर लखनऊ में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने नाराजगी जाहिर की है.


मौलाना कल्बे जवाद ने सौंपा ज्ञापन


मौलाना कल्बे जवाद ने मुहर्रम के महीने में मातम, मजलिसें और ताजियों के जुलूस पर रोक के खिलाफ लखनऊ पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे को ज्ञापन सौंपा है. अपने ज्ञापन में उन्होंने मातम, मजलिसें और ताजियों के जुलूस के लिए प्रशासन से इजाज़त मांगी है. इतना ही नहीं, उनका कहना है कि अगर प्रशासन उन्हें इजाज़त नहीं देता है तो वह अपनी गिरफ्तारी देंगे. कल्बे जवाद का आरोप है कि मुहर्रम जुलूस में पुलिस ताजिया ले जाने की इजाजत नहीं दे रही है और ना ही सामान बेचने की परमिशन दे रही है.


लखनऊ पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे ने बताया कि शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने अपनी बात रखी है. उनसे कहा गया है कि कोविड-19 और केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार किसी प्रकार की भीड़ जमा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और न ही ऐसी कोई स्थिति पैदा की जाएगी, जिससे विवाद हो.


वहीं, शिया धर्मगुरु ने इस मुलाकात को लेकर कहा कि हम पुलिस आयुक्त से मिलने आये थे. हमारी बात हुई है. हम लोग गाइडलाइन के मुताबिक ही ताजिया और जुलूस निकालेंगे. हमने अपनी बात रख दी है, लेकिन अगर इजाज़त नहीं मिली तो हमलोग गिरफ्तारी देंगे.