Waqf Amendment Bill: वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर फिलहाल देश में राजनीति गरम है. नेताओं की बयानबाजी के बीच शिया धर्मगुरु और मजलिस-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने इस मसले पर केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल दाग दिए हैं. उनका आरोप है कि केंद्र यह विधेयक इसलिए लाई है, ताकि वक्फ संपत्तियों को कब्जाया जा सके.


सैयद कल्बे जवाद ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर देश भर में बड़े स्तर पर अभियान शुरू करने की बात भी कही. ऐसे में सियासी गलियारों में पॉलिटिक्स को गहराई से देखने-समझने वाले कयास लगाने लगे कि कहीं फिर से भारत में सीएए और एनआरसी की तरह विरोध प्रदर्शन तो नहीं होंगे.


शिया धर्मगुरु ने देशव्यापी अभियान की बात कही


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना सैयद जवाद ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने बिल का मसौदा तैयार करने से पहले हितधारकों से सलाह-मशविरा नहीं किया. उन्होंने इस बिल को धर्मनिरपेक्ष अवधारणा के खिलाफ बताते हुए केंद्र सरकार से इसे वापस लेने का आग्रह किया. शिया धर्मगुरु ने कहा कि वह सांसदों से मिलने के साथ-साथ वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने के लिए एक देशव्यापी अभियान शुरू करेंगे तथा सभी लोगों को इस विधेयक के तथ्यों से अवगत कराएंगे.


अगले सप्ताह होगी संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक 


केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन के लिए आठ अगस्त को संसद में विधेयक पेश किया था, लेकिन इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया. वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक अगले सप्ताह 22 अगस्त को होगी. लोकसभा सचिवालय ने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के प्रतिनिधियों से समिति को विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों के बारे में जानकारी देने की उम्मीद है.


यह संशोधन विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है. (इनपुट एजेंसी से भी)


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