(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
करगिल शिखर सम्मेलन: राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा-भारत संकट की घड़ी में भी अनुशासन नहीं तोड़ता है
सेना में कर्नल रह चुके बीजेपी सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि पाकिस्तान की हरकत से उनपर कभी आगे विश्वास करना होगा तो दो बार सोचना होगा. हमारे प्रधानमंत्री जब लाहौर गए उसी वक्त उनकी सेना भारत में घुसपैठ की प्लानिंग कर रहे थे.
नई दिल्ली: करगिल के 20 साल पूरे होने पर देश आज शहीदों को याद कर रहा है और जीत का जश्न मना रहा है. इस मौके पर बीजेपी सांसद और सेना में कर्नल रह चुके राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि सेना में आते हैं तो आप इंतजार में रहते हैं कि हमें मौका कब मिलेगा. पहली टुकड़ी जब लड़ाई में जाती है तो पीछे की टुकड़ी वाले सोचते हैं कि हमें पहले की टुकड़ी में मौका क्यों नहीं मिला. ये जज्बा होता है.
एबीपी न्यूज़ के खास कार्यक्रम करगिल शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, ''अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व ने पूरे देश को एकजुट किया. मैं उस समय के प्रधानमंत्री वाजपेयी और सरकार को सलाम करता हूं. पहले जवानों की अंतेष्टि युद्धभूमि में ही कर दी जाती थी लेकिन वाजपेयी ने फैसला लिया कि उनके शव उनके घर भेजे जाएंगे. जब उनके शवों को घर भेजना शुरू हुआ तब देश जागा और उनकी आत्मा हिली और सबने कहा कि हम युद्ध में साथ हैं. उस वक्त दोनों देश न्यूक्लियर पावर थे, इसलिए युद्ध कहां तक जाएगा ये किसी को पता नहीं था. इसलिए भारत ने कभी एलओसी क्रॉस नहीं की. इसकी तारीफ पूरी दुनिया में हुई कि भारत ने संकट की घड़ी में भी अनुशासन नहीं तोड़ा.''
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''पाकिस्तान की हरकत से उनपर कभी आगे विश्वास करना होगा तो दो बार सोचना होगा. हमारे प्रधानमंत्री जब लाहौर गए उसी वक्त उनकी सेना भारत में घुसपैठ की प्लानिंग कर रहे थे. उनकी कोशिश थी हमें सियाचिन छोड़ना पड़े. उन्होंने पूरी दुनिया से कहा कि ये हमारी सेना नहीं है, ये तो आतंकवादी हैं. पाकिस्तानी सेना धोखे से करगिल में घुसी. पाकिस्तानी सेना के मारे गए जवानों की जेब से उनकी मेस के बिल निकल रहे थे. पाकिस्तानी सेना ने अपने सैनिकों के शव लेने से भी इनकार कर दिया. इसके बावजूद भारत ने उन्हें सम्मान के साथ दफनाया.''
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा, ''पाकिस्तान का अस्तित्व ही इसी बात पर है कि वो भारत के साथ युद्ध जारी रखे, मैं यह बात वहां के आम नागरिकों के लिए नहीं कह रहा. क्योंकि वहां सत्ता के कई केंद्र हैं. लोकतंत्र का दिखावा है, आईएसआई है, फिर सेना है और तीनों कई बार अलग अलग सोचते हैं.''
उन्होंने कहा, ''करगिल के समय की बात करें तो इंटेलिजेंस में थोड़ी कमी थी. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी सहमति थी कि सर्दी में दोनों देशों के सैनिक वापस चले जाएंगे. लेकिन पाकिस्तान ने धोखा करके अपने सैनिकों को वहां भेजा और पोजीशन ले ली. लेकिन मैं आज आपको भरोसा देता हूं कि जब तक हमारे देश के युवा योद्धा बनने की तैयारी करते रहेंगे. हमारे देश को डरने की जरूरत नहीं है.''
महेंद्र सिंह धोनी को लेकर पूछे गए सवाल पर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा, ''इस देश के अंदर सबसे बेहतरीन संस्थान है वो है सेना. जब तक हम भारत की सेना को हीरो समझें तब तक भारत की सेना शानदार काम करती रहेगी और हमारी हिफाजत करती रहेगी. मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने सेना को सम्मान मिलना चाहिए वो दिया है. इसलिए आज आम नागरिक भी सेना में जाकर सेवा देना चाहते हैं.''
कुलभूषण जाधव पर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा, ''कोई सैनिक या अधिकारी रिटायरमेंट के बाद अपने परिवार के लिए काम करने बाहर जाता है. आप उसे जबरदस्ती पकड़ लेते हैं, कोई काउंसुलर एक्सेस भी नहीं देते. उन पर गलत आरोप लगाए जाते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान की न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष रूप से चले, उन्हें जल्द से जल्द काउंसलर एक्सेस मिले. पाकिस्तान को अंदाजा हो गया है कि भारत कमजोर देश नहीं है. हम दोस्ती भी करते हैं और जवाब भी देते हैं. पाकिस्तान को बिल्कुल बहिष्कार कर देना चाहिए, जो आज हो रहा है. आज हमारे पास एक मजबूत नेतृत्व है.''