शिलॉन्ग: मेघालय की राजधानी शिलांग में गुरुवार को दो गुटों में हुई झड़प के बाद से ही तनाव जारी है. सेना कल खुद मोर्चा संभाला और पूरे शहर में फ्लैग मार्च किया. सेना ने हिंसा प्रभावित इलाकों से 500 लोगों को बाहर सुरक्षित निकाला है इनमें 200 महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. रक्षा विभाग के प्रवक्ता रत्नाकर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने सेना से आग्रह किया कि प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च करे. इस बीच मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने उच्चस्तरीय बैठक कर हालात की समीक्षा की. शहर में शुक्रवार 3 बजे के बाद से ही इंटरनेट बंद है. थाना लूमडेनगिरी के 14 इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है. वहीं पूरे शिलॉन्ग में रात 10 से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगाया जाता है.
कैसे शुरू हुआ विवाद
विवाद की मूल वजह है बड़ा बाजार इलाके में कथित तौर पर एक निजी ट्रेवलर की बस चलाने वाले एक खासी समुदाय के ड्राइवर ने पंजाबी मूल की एक लड़की के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की. उसके बाद लड़की के जानने वालों ने उस लड़के की बुरी तरह से पिटाई कर दी. उस वक़्त मामला पुलिस में पहुंचा तो शांत हो गया लेकिन रात होते होते आगजनी और तोड़फोड़ शुरू हो गयी. शिलॉन्ग के 101 या कहें आर्मी कैंट इलाके के आसपास तकरीबन 200 पंजाबी परिवार रहते हैं, जिन्हें सुरक्षा की दृष्टि से आर्मी कैंट में ठहराया गया है.
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वहां कुछ टूरिस्ट हैं जो अभी होटलों में हैं, ज्यादातर इस घटना के बाद वहां से वापस चले गए. कल सीएम कॉनरैड संगमा और गृह मंत्री ने खासी लोगों से बात करने की कोशिश की लेकिन कोई हल नही निकला. खासी लोग शिलांग से पंजाबी बस्ती हटाने की बात कर रहे. कल रात भी शिलांग के कुछ इलाकों में पेट्रोल बम फेंके गए और सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. जिसके बाद पुलिस में आंसू गैस के गोले छोड़े. लेकिन अभी सरकार की तरफ से अर्ध सैनिक बलों को बल प्रयोग की मनाही है.
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