Shinde Vs Thackeray And Supreme Court: शिवसेना पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह 'तीर-धनुष' को लेकर आए चुनाव आयोग के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाने से मना कर दिया है. 17 फरवरी को चुनाव आयोग ने शिवसेना पर एकनाथ शिंदे के दावे को सही पाया था. इस फैसले पर रोक की मांग कर रहे उद्धव ठाकरे को फिलहाल राहत नहीं मिली. हालांकि, कोर्ट ने यह जरूर कहा कि फिलहाल एकनाथ शिंदे पक्ष ऐसा कोई कदम न उठाए, जिसके चलते उद्धव समर्थन सांसद और विधायक अयोग्य करार दे दिए जाएं.
'अस्थायी चुनाव चिह्न 'मशाल' का भी इस्तेमाल कर सकते हैं'
कोर्ट ने यह भी कहा है कि उद्धव ठाकरे फिलहाल उन्हें मिले अस्थायी नाम 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब' का इस्तेमाल जारी रख सकते हैं. साथ ही अस्थायी चुनाव चिह्न 'मशाल' का भी इस्तेमाल जारी रख रख सकते हैं. उद्धव कैंप के वकीलों ने कहा कि एकनाथ शिंदे पक्ष पार्टी के दफ्तरों पर कब्ज़ा लेता जा रहा है. वह बैंक अकाउंट पर भी नियंत्रण ले लेगा. इससे उसे रोका जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का आदेश जारी करने से मना कर दिया.
उद्धव ठाकरे के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और देवदत्त कामत ने दलील दी कि चुनाव आयोग ने विधायक दल में हुई टूट को शिवसेना पार्टी में हुई टूट मान लिया. यह गलत है. पार्टी का 2018 का संविधान अध्यक्ष को काफी शक्तियां देता है. लेकिन चुनाव आयोग ने उसे भी मानने से मना कर दिया.
इसका जवाब देते हुए शिंदे के लिए पेश वरिष्ठ वकीलों नीरज किशन कौल और मनिंदर सिंह ने कहा कि किसी पार्टी का लोकतांत्रिक तरीके से चलना जरूरी है. 2018 का संविधान इस कसौटी पर खरा नहीं उतरता था. इसलिए चुनाव आयोग ने उसे नहीं माना. संगठन के सदस्यों की संख्या को लेकर दोनों पक्षों का दावा स्पष्ट नहीं था. ऐसे में विधायक दल में बहुमत को आयोग ने आधार की तरह की देखा.
एकनाथ शिंदे की तरफ से यह भी कहा गया सुप्रीम कोर्ट को यह मामला सुनना ही नहीं चाहिए. कानूनन चुनाव आयोग के इस तरह के फैसलों के खिलाफ याचिका हाई कोर्ट में दाखिल होती है. इसलिए उद्धव ठाकरे से भी यह कहा जाए कि वह पहले हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करें. लेकिन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे पी पारडीवाला की बेंच ने कहा कि वह मामले पर नोटिस जारी कर रहे हैं. एकनाथ शिंदे और चुनाव आयोग उस पर 2 हफ्ते में जवाब दें. इसके अगले एक हफ्ते में उद्धव ठाकरे उनके जवाब पर अपना लिखित पक्ष रखें.