Sukhbir Singh Badal visit house of Satwant Singh: पंजाब के विधानसभा चुनाव में अपनी सियासी जमीन खो चुका शिरोमणि अकाली दल अब कट्टरपंथियों के साथ अपने नजदीकियां बढ़ा रहा है. बीते रविवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल गुरुदासपुर में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के हत्यारों में से एक सतवंत सिंह के घर पहुंचे थे. सुखबीर सिंह बादल की इस यात्रा को शिअद की कट्टर पंथिक राजनीति की ओर मुड़ने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.


दरअसल, शिअद नेता प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल लंबे समय तक इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह और अन्य से जुड़े कार्यक्रमों से दूरी बना कर रखते थे. इस स्थिति में सुखबीर का ये फैसला पंजाब की राजनीति में कुछ अलग होने का इशारा कर रहा है. सुखबीर सिंह बादल की इस यात्रा को राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा से भी जोड़ा जा रहा है. जो कुछ ही दिनों में पंजाब में एंट्री करने वाली है.


भिंडरावाले के घर भी पहुंचे थे सुखबीर सिंह बादल


द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिअद नेता सुखबीर सिंह बादल कुछ दिनों पहले जनरैल सिंह भिंडरावाले के घर पर हुए एक कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे. इससे पहले शिरोमणि अकाली दल ने संगरूर लोकसभा उपचुनाव में पूर्व सीएम बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआणा की बहन को अपना प्रत्याशी बनाया था. इस रिपोर्ट के अनुसार, शिरोमणि अकाली दल खासतौर से सिख और किसानों के बीच बेअदबी के मामलों और कृषि कानूनों के जरिये अपनी पार्टी को फिर से स्थापित करने के लिए लगातार कोशिशें कर रही है. 


लंबे समय से SAD के साथ जुड़ा रहा सतवंत सिंह का परिवार


माना जाता है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के चलते शिअद को हिंदू वोट नहीं मिले. जिसके चलते 117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब में शिअद महज 3 सीटें ही जीत सकी थी. इसके बाद से ही शिरोमणि अकाली दल ने कट्टरपंथियों से मेलजोल बढ़ा दिया है. हालांकि, पार्टी के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि हमारे एजेंडा में कोई बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि हम धर्मनिरपेक्ष पार्टी हैं और हमेशा भाईचारे को बढ़ावा देते रहे हैं. उन्होंने कहा कि सतवंत सिंह का परिवार लंबे समय से अकाली दल के साथ जुड़ा रहा है.


कांग्रेस भी कर चुकी है कट्टरपंथ की यात्रा


लेखक और पत्रकार रहे कुलदीप नैयर ने अपनी आत्मकथा 'बियॉन्ड द लाइन' में लिखा था कि जरनैल सिंह भिंडरावाले को बढ़ावा देने में कांग्रेस नेता जैल सिंह का बड़ा हाथ था. एक संत के तौर पर पहचान रखने वाला भिंडरावाले के पास बाद में इतनी ताकत आ गई थी कि वो कानून को ही चुनौती देने लगा था. कहा जाता है कि पंजाब की तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल की सरकार के खिलाफ भिंडरावाले का इस्तेमाल कांग्रेस ने किया था.


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