नई दिल्ली: कभी शिवसेना और वीएचपी यानी विश्व हिंदू परिषद की सोच काफी मिलती-जुलती होती थी. लेकिन अब शिवसेना की सोच पर वीएचपी सवाल खड़े कर रही है. शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बयान को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई है. विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने उद्धव ठाकरे के उस बयान पर आपत्ति दर्ज करवाते हुए हमला किया है जिसमें ठाकरे ने श्री राम जन्म भूमि के भूमि पूजन का कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कराने का सुझाव दिया था.


वीएचपी ने किया शिवसेना प्रमुख के बयान का विरोध


विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने उद्धव ठाकरे के बयान पर हमला करते हुए कहा कि "उद्धव ठाकरे के उस बयान को देखकर आश्चर्य हुआ जिसमे उन्होंने श्री राम जन्मभूमि के लिए भूमि पूजन को विडियो-कॉन्फ़्रेंसिंग से कराने का सुझाव दिया था." आलोक कुमार ने कहा, "यह सुझाव केवल एक अंधे विरोध करने की भावना से आया है और उद्धव ठाकरे का यह बयान शिवसेना के पतन की ओर इशारा कर रहा है. वो शिवसेना जिसे कभी बाला साहब ठाकरे ने प्रखर हिंदुत्व की राजनिति के लिए गढ़ा था."


वीएचपी ने शिवसेना को समझाया भूमि पूजन का महत्व


भूमि पूजन का महत्व बताते हुए वीएचपी के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि भूमि पूजन भवन निर्माण के पहले एक आवश्यक और पवित्र रस्म है. निर्माण के लिए भूमि को खोदने से पहले पृथ्वी मां की पूजा की जाती है, उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है और वहां नींव खोदने की अनुमति ली जाती है और ये काम दिल्ली में बैठकर विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से नहीं किया जा सकता.


भूमि पूजन को लेकर शिवसेना और वीएचपी आए आमने-सामने


कोरोना काल में हो रहे इस भूमि पूजन को लेकर वीएचपी के राष्ट्रीय कार्यअध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि "कोरोना की सारी सावधानियां बरतते हुए देश सामान्य जीवन जीने की ओर बढ़ रहा है. कुछ वक्त पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ रथ यात्रा को भी निकालने की अनुमति दी थी. इतना ही नहीं अमरमाथ यात्रा के स्थगित होने के बावजूद उस यात्रा की सारे धार्मिक रीति-रिवाजों को निभाया गया है. इसी तरह से राम मंदिर के भूमि पूजन के दौरान होने वाले कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों का पूरी तरह से पालन होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम में 200 लोगों को बुलाने का फैसला किया गया है. लिहाजा जो लोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भूमि पूजन की बात कर रहे हैं वह एक तरह से भूमि पूजन का विरोध कर रहे हैं."