नई दिल्ली: काग्रेस की कमान एक बार फिर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों में जाने को लेकर शिवसेना ने पार्टी पर निशाना साधा है. अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि कांग्रेस दिल्ली का मीना बाजार बन गई है, जहां सिर्फ पुराने ग्राहक घूमते नजर आते है.


शिवसेना ने लिखा है,'' पूरा देश आर्टिकल 370 हटाए जाने का स्वागत कर रहा है, वहीं कांग्रेस पार्टी 370 के मकड़जाल को अपने शरीर से दूर करने को तैयार नहीं है. उनकी पार्टी में ही इस पर दो-फाड़ हो गया है. ट्रिपल तलाक के संदर्भ में राजीव गांधी द्वारा की गई भयंकर गलती को इस बार सुधारा जा सकता था, लेकिन कांग्रेस ने इतिहास की गलतियों से सीखने की तैयारी नहीं दिखाई. इसी कारण कांग्रेस पार्टी दिल्ली का मीनाबाजार बन गई है. पुराने ग्राहक वहां घूमते नजर आते हैं सिर्फ इतना ही. कांग्रेस के पतन के लिए मोदी-शाह जिम्मेदार न होकर वे खुद ही जिम्मेदार हैं. 73 साल की सोनिया गांधी के कंधों पर भार सौंपकर कांग्रेस ने बचा-खुचा सत्व भी गंवा दिया है.''


सामना में आगे लिखा है,'' 73 साल की सोनिया गांधी को फिर कांग्रेस की कमान संभालने के लिए आगे आना पड़ा. सोनिया गांधी बार-बार बीमार पड़ती हैं. इलाज के लिए उन्हें विदेश जाना पड़ता है. बीच-बीच में उनकी तबीयत ज्यादा खराब होने की खबरें आती रहती हैं. ऐसी स्थिति में कांग्रेस का नेतृत्व करने का बोझ उन्हें उठाना पड़ रहा है, ये अमानवीय है.''


संपादकीय में आगे कहा गया है,'' राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस की नीति के अनुसार नए अध्यक्ष को चुना जाए, अध्यक्ष गांधी परिवार के बाहर का हो, पार्टी गांधी परिवार की बैसाखी त्यागें व अपने दम पर खड़ी हो. पार्टी द्वारा मान-मनौव्वल किए जाने के बाद भी वे अपनी बात से पीछे नहीं हटे यह महत्वपूर्ण है. कुछ लोगों द्वारा प्रियंका गांधी का नाम आगे लाते ही राहुल गांधी ने उन्हें फटकार लगाई. कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगता रहा है और इसके लिए गांधी परिवार को जिम्मेदार ठहराया जाता है. इसके लिए राहुल गांधी ने यह निर्णय लिया और उनके निर्णय का सम्मान होना जरूरी था. लेकिन 75 दिनों के बाद कांग्रेस को गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष नहीं मिला. पार्टी ने 73 वर्षीय सोनिया गांधी फिर पार्टी की कार्यकारी अध्यक्षा बन गई हैं. वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व की पहली पंक्ति अस्तित्व में नहीं है.''


बता दें कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से ही कांग्रेस पार्टी में नए अध्यक्ष की तलाश जारी थी, लेकिन दिल्ली में कांग्रेस की कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया. पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के प्रस्ताव पर एक-दो नेताओं को छोड़कर सभी नेताओं ने एक सुर में सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का समर्थन किया.

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