रंजन गोगोई पर शिवसेना का तीखा हमला, कहा- न्यायधीशों के साथ न्याय का तराज़ू ही अच्छा लगता है
राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत होने के बाद रंजन गोगोई पर शिवसेना ने तीखा हमला बोला है. संजय राउत ने कहा है कि CJI के साथ न्याय का तराज़ू ही अच्छा लगता है.
नई दिल्ली: राष्ट्रपति के जरिए पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा में मनोनीत किए जाने का कदम विपक्ष के गले नहीं उतरते दिख रहा है. विपक्ष लगातार रंजन गोगोई पर सवाल खड़े कर रहा है. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला और एआईएमएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के बाद अब शिवसेना के संजय राउत ने सवाल खड़े किए है. संजय राउत ने कहा कि जो व्यक्ति CJI के पद पर रहा हो उसे राजनीति से दूरी बनाए रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सीजेआई के साथ हमेशा न्याय का तराज़ू ही अच्छा लगता है और अच्छा लगता रहेगा, लेकिन आजकल सीजेआई राजनीति में दिलचस्पी दिखा रहे हैं जो कि अपने आप में हैरानी की बात है.
संजय राउत ने राजनीति और जुडीशरी से तुलना भी की, साथ ही उन्होंने कहा कि राजनीति अपने आप में बहुत बड़ी बात है, लेकिन सीजेआई के सामने राजनीति हमेशा छोटी ही रहेगी. आपको बता दें कि जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के सदस्य के तौर पर नामित किया, तब से वो विपक्ष और अपनी जुडीशयरी बिरादरी के निशाने पर हैं.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीके लोकुर ने इस बात पर तीखा हमला करते हुए कहा, "कुछ समय से अटकलें लगाई जा रही थी कि रंजन गोगोई को सम्मान दिया जाएगा तो नामंकन आशर्चयजनक नहीं है. जो बात खटक रही है वो ये है कि इतनी जल्दी सम्मानित किया गया. यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्पक्षता को परिभाषित करता है. क्या आखरी घर ढह गया? "
इसके साथ ही एआईएमएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी गोगोई पर हमला किया. उन्होंने ट्वीट करके कहा, " क्या यह इनाम है? लोग जजों की स्वतंत्रता पर कैसे यकीन करेंगे. ये कई सवाल खड़े कर सकता है."
इन हमलों के बीच खुद के राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर रंजन गोगोई अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने साफ किया कि वो राष्ट्रपति के जरिए राज्यसभा के नामित को स्वीकारते हैं और अभी किसी भी तरीके की टिप्पणी नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा कि अपने शपथ के बाद ही किसी तरह का कोई बयान देंगे.
आपको बता दें कि 3 अकटूबर 2018 को भारत के 46वें चीफ जस्टिस बने रंजन गोगोई का कार्यकाल 13 महीने का रहा था. उन्होंने पिछले साल 9 नंवबर को राम मंदिर पर एतिहासिक फैसला सुनाया था जिसके बाद वो 17 नवंबर को रिटायर हो गये थे. पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सबरीमला मंदिर में महिला के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे संबंधी मामलों पर फैसला देने वाली पीठ का भी नेतृत्व किया.
रंजन गोगोई असम के मुख्यमंत्री रहे केशब चन्द्र गोगोई के बेटे हैं. उन्होंने 1978 में वकालत शुरु की. 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के स्थाई जज बने. 2011 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए.