बढ़ती महंगाई पर शिवसेना का केंद्र पर हमला, कहा- जनता की जेब से पैसे क्यों छीन रही है सरकार?
शिवसेना ने कहा- जीडीपी में गिरावट और महंगाई ‘बेतहासा बढ़ रही है.’ ऐसा ही हो रहा है. अब पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 35 से 37 पैसे तो घरेलू रसोई गैस सिलिंडर सीधे 25 रुपए महंगा हो गया है. शिवसेना ने कहा- लॉकडाउन की वजह से पहले ही सामान्य जनता की कमर टूट गई है और कई लोगों की नौकरी छिन गई. ऐसे में सरकार लोगों की जेब से पैसे क्यों छीन रही है?
मुंबई: देश में पेट्रोल-डीजल और गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर शिवसेना ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में 'ईंधन-गैस दर वृद्धि…शब्दों की जुमलेबाजी!' नाम के संपादकीय में लिखा है कि केंद्र की सरकार कहती कुछ है और करती कुछ और है. लॉकडाउन की वजह से पहले ही सामान्य जनता की कमर टूट गई है और कई लोगों की नौकरी छिन गई. ऐसे में सरकार लोगों की जेब से पैसे क्यों छीन रही है?
सरकार ने कहा था पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ेंगी- शिवसेना
शिवसेना ने संपादकीय में लिखा, ''केंद्रीय बजट में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर ‘कृषि उपकर’ लगाया. इससे महंगाई बढ़ेगी. पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ेंगी, ऐसा केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया था. लेकिन यह वचन हवा में घुला-मिला भी नहीं, इतने में पेट्रोल-डीजल ही नहीं, बल्कि रसोई गैस सिलिंडर के दाम भी बढ़ गए. पेट्रोल-डीजल की कीमत 35 से 37 पैसे बढ़ी है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें नियंत्रण मुक्त किए जाने से वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें जैसे-जैसे घटती-बढ़ती हैं, वैसे-वैसे हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत भी कम-ज्यादा होती है. यह सत्य है.''
सरकार हमेशा की तरह चुप्पी साध पर बैठी- शिवसेना
सामना में आगे लिखा गया है, ''यहां सवाल सरकार द्वारा दिए गए वचन का है. चार दिन पहले सरकार के एक मंत्री ने कहा था कि पेट्रोल-डीजल पर लगाए गए कृषि उपकर का कोई भी परिणाम पेट्रोल-डीजल की दर वृद्धि पर नहीं होगा. फिर चार ही दिन में यह दर वृद्धि कैसे हुई? अब यह सरकार हमेशा की तरह एक तो चुप्पी साधकर बैठ जाएगी या फिर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आए उतार-चढ़ाव की ओर उंगली दिखाकर हाथ खड़े कर लेगी. पेट्रोल पर प्रति लीटर ढाई रुपए तो डीजल पर प्रति लीटर 4 रुपए कृषि उपकर लगाया जाएगा. इसका हवाला देते हुए की गई ईंधन दर वृद्धि कम कैसे है? और इसका कृषि कर से संबंध क्यों नहीं है?''
शिवसेना ने कहा, ''रसोई गैस की दर में वृद्धि का क्या? उसका सरकार के पास क्या जवाब है? उस पर उसमें भी गंभीर बात यह है कि रसोई गैस सिलिंडर महंगा और व्यावसायिक गैस सिलिंडर सस्ता, ऐसा यह मामला है. रसोई गैस सिलिंडर सीधे 25 रुपए महंगा हो गया तो व्यावसायिक गैस सिलिंडर की कीमतें 5 रुपए सस्ती हो गई.'' आगे लिखा है, ''लॉकडाउन के कारण पहले ही सामान्य जनता की कमर टूट गई है. कई लोगों की नौकरी छिन गई है. जिनकी सुरक्षित है, उन पर भी नौकरी जाने की तलवार लटक रही है. इसके अलावा कई लोगों की तनख्वाह में कटौती हो ही रही है, ऐसे समय में आम जनता की जेब में कुछ डाल नहीं सकते होंगे तो कम से कम जितना कुछ शेष बचा है, उसे भी क्यों छीनते हो?''
जीडीपी में गिरावट और महंगाई ‘बेतहासा बढ़ रही है- शिवसेना
शिवसेना ने कहा, ''जीडीपी में गिरावट और महंगाई ‘बेतहासा बढ़ रही है.’ ऐसा ही हो रहा है. अब पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 35 से 37 पैसे तो घरेलू रसोई गैस सिलिंडर सीधे 25 रुपए महंगा हो गया है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ेंगी, ऐसा ‘वचन’ सरकार ने उस पर ‘कृषि उपकर’ लगाने के बाद दिया था. परंतु हमेशा की तरह ये भी ‘शब्दों का बुलबुला’ ही सिद्ध हुआ. सरकार अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार की ओर उंगली दिखाकर अपना बचाव करेगी ही।. परंतु घरेलू रसोई गैस की कीमतों में भारी दर वृद्धि का क्या? उस पर ‘हम तो दर वृद्धि नहीं होगी, ऐसा वचन ही कहां दिए थे?’ ऐसी लीपापोती सत्ता पक्ष कर सकता है वर्तमान सत्ताधारियों की यह शब्दों की जुमलेबाजी देश के लिए नई नहीं है. उन्होंने कृषि कानून के नाम पर किसानों के साथ ऐसी ही जुमलेबाजी शुरू की है. अब र्इंधन गैस दर वृद्धि को लेकर आम जनता के मामले में भी यही होगा.''
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