मुंबईः शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लेख लिखकर सबरीमाला और राम मंदिर को लेकर एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है. मुखपत्र में कहा गया है कि हिंदुत्व के नाम पर इन दिनों जिस तरह का तमाशा जारी है ऐसा कांग्रेस के शासन में भी नहीं देखने को मिला था. शिवसेना ने कहा है कि देश के दो प्रमुख मंदिरों को लेकर जनभावनाएं तेज हैं. पहला राम मंदिर और दूसरा केरल का सबरीमाला मंदिर. इन दोनों मंदिरों के बारे में बीजेपी और संघ परिवार की भूमिका स्वतंत्र यानी दोनों तरफ से 'मृदंग' बजाने के समान है.
शिवसेना ने नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उनका विचार है, ''राम मंदिर मुद्दे को लेकर अदालत में ही जो नतीजा आएगा उसे आने दो, संघ की प्रमुख की मंडलियां उस पर ठंडी प्रतिक्रियाएं दे रही हैं. उसी वक्त दूसरी तरफ सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने के अदालती निर्णय को बीजेपी व संघ मानने को तैयार नहीं.''
शिवसेना ने कहा कि केरल में संघ ने बीजेपी की मदद से महिला मंदिर प्रवेश के मुद्दे को भड़काया. इस मामले को लेकर केरल में हिंसा भड़क उठी है. संघ के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर कानून हाथ में ले रहे हैं. गोलीबारी में लोग मारे जा रहे हैं. पत्रकार और पुलिसवालों पर हमले जारी हैं.
वास्तविकता तो यह है कि केंद्र सरकार को राम मंदिर मुद्दे पर अध्यादेश लाना चाहिए और मंदिर का निर्माण करवाना चाहिए. यह जनभावना है. इस जनभावना को मानने के लिए बीजेपी सरकार तैयार नहीं. मगर सबरीमाला मंदिर मामले में 'मृदंग' जनभावना को ही महत्व दे रहा है.
शिवसेना ने कहा है कि केरल में मंदिर और हिंदुत्व की रक्षा के लिए 'संघ' सड़क पर उतरा है. मगर अयोध्या के राम मंदिर मुद्दे पर वो ठंडा पड़ा है. मंदिर अयोध्या में ही होगा, ऐसा सर संघचालक कहते हैं मगर कब, समय नहीं बताते हैं.
मोदी के अदालती बयान पर 'जनभावना' फेम अमित शाह नहीं बोलते और सरसंघचालक आगे नहीं जाते. केरल में जिस तरह मंदिर मामले पर आंदोलन जारी है, उसी तरह का आंदोलन अयोध्या मामले में करने की उनकी इच्छा नहीं है.
ऐसा कोई इरादा होगा तो उसे वे हमें जरूर बताएं. आपके नेतृत्व तले हम राम मंदिर के लिए दूसरी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. मगर 'मृदंग' दोनों तरफ से बज रहा है और दोनों तरफ से अलग-अलग सुर निकल रहे हैं. राम मंदिर के लिए बाजी लगानेवाले शिवसेना के सामने अहंकार तथा राम का विरोध करनेवालों के सामने शरणागत.
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